हार नहीं मानूंगा…कैंसर में एक हाथ गंवाने के बाद भी 10वीं की परीक्षा दे रहा ये छात्र


मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनो में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से ही उड़ान होती है. ऐसा कर दिखाया है पश्चिम बंगाल के 16 साल के एक छात्र ने.छात्र ने कैंसर की बीमारी की वजह से अपना दाहिना हाथ खो दिया.अब वह अपने बाएं हाथ से लिखकर दसवीं की बोर्ड परीक्षा दे रहा है.

रिपोर्ट्स के अनुसार पश्चिम बंगाल के जनपद नादिया के रहने वाले 16 वर्षीय शुबजीत बिस्वास कैंसर की वजह से अपना दाहिना हाथ गंवा चुके हैं. जो अपने बाएं हाथ से 10वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा दे रहे हैं. वह शांतिपुर क्षेत्र के हरिपुर नारापतिपारा गांव के रहने वाले हैं. बीते दिनों माह के दौरान ही उन्होंने बाएं हाथ से लिखना सीखा है. उनका एग्जाम सेंटर नृसिंहपुर हाई स्कूल है.

मीडिया से बात करते हुए इस स्कूल के प्रधानाचार्य सौमित्र बिद्यार्थ ने बताया कि छात्र के लिए सभी चिकित्सा सहायता तैयार रखी है. मगर छात्र के परीक्षा के लिए ना ही अतिरिक्त समय मांगा और ना ही किसी दूसरे व्यक्ति से लिखवाने का विकल्प चुना. वहीं, छात्र ने कहा कि कुछ वर्ष पहले उसकी दाहिनी बांह में एक ट्यूमर हुआ था और बाद में कैंसर होने का पता चला. जिसके बाद कोलकाता में प्रारंभिक निदान के बाद उसका बेंगलुरु में इलाज हुआ. परेशानी की वजह से परिवार को दो वर्ष तक वहां रहना पड़ा, मगर उसके हाथ को बचाया नहीं जा सका.

लगातार किए प्रयास

छात्र शुबजीत बिस्वास ने कहा पिछले वर्ष दिसंबर में कोहनी से उसका दाहिना हाथ काट दिया गया था. तब से वह अपने बाएं हाथ से लिखने की कोशिश कर रहा था. शुरुआत में दिक्कत आई. जिस कारण वह इमोशनल भी हुए लेकिन हार नहीं मानी और अभ्यास करते करते सुधार होने लगा और अब वह दूसरे हाथ से लिखने में सक्षम हैं. इलाज के खर्च के चलते परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ा.

चाचा ने क्या कहा?

छात्र के पिता इंद्रजीत बिस्वास पहले एक हथकरघा इकाई में बुनकर के रूप में काम किया करते थे. मगर अब वह कोलकाता में निर्माण श्रमिक के रूप में कार्य करते हैं. जबकि उनकी मां घरेलू सहायिका के रूप में कार्य करती हैं. अपनी दो बहनों की शादी के बाद विद्यार्थी अब अपने चाचा व चाची के साथ रहता है. छात्र के चाचा अरिजीत बिस्वास ने कहा कि उसके इलाज के दौरान हुए खर्चों की वजह से उसके माता-पिता कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं. उनके पास एक छोटे घर के अलावा कुछ नहीं बचा है. हमें भगवान पर बहुत भरोसा है, वह सफल होगा.

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