ये विदेशी फल आपको कर देंगे मालामाल, आज ही खेत में लगा लें


Agriculture Tips: बरसात का मौसम आने को है, देश में मानसून ने दस्तक दे दी है. ऐसे में किसान इसका भरपूर फायदा उठाने के लिए तैयार हैं. लेकिन जरूरी नहीं है कि केवल देशी फसलों से ही फायदा उठाया जाए, विदेशी फसलें भी आपको मोटा और तगड़ा मुनाफा दे सकती हैं. इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे चार विदेशी फलों के बारे में जिन्हें अगर आपने अपने खेत में लगा लिया तो आप मालामाल हो जाएंगे.

ड्रैगन फ्रूट

ड्रैगन फ्रूट इन दिनों भारत में सबसे ज्यादा खाए जाने वाले विदेशी फलों में से एक है. भारत में सबसे ज्यादा ड्रैगन फ्रूट की खेती यूपी के बाराबंकी में होती है. बाराबंकी के दो किसान भाइयों ने मिलकर इसकी खेती करने की शुरुआत की थी. हालांकि पहले ड्रैगन फ्रूट की खेती को लेकर उन्हें दिक्कतें आई लेकिन बाद में मेहनत रंग लाई और आज बड़े पैमाने पर दोनों भाई ड्रेगन फ्रूट की खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं. ड्रैगन फ्रूट को उगाने के लिए जमीन के अंदर सीमेंट के खंभे लगाए जाते हैं, इसके बाद इन खंभों के सहारे इसे लगाया जाता है.

एक्सपर्ट्स की मानें तो ड्रैगन फ्रूट को शुरुआत में लगाने पर एक एकड़ के लिए 4 से 5 लाख रुपये तक का खर्च आता है, लेकिन एक बार अगर पौधा चल निकले तो ये आपको दो गुने से भी ज्यादा मुनाफा देता है. ड्रैगन फ्रूट के एक पौधे से 8 से 10 फल मिलते हैं जिसके एक फल का वजन करीब 200 ग्राम तक होता है. इस पौधे को बरसात में ही लगाना चाहिए, जिससे ये जून से लेकर दिसंबर तक फल देता है. मार्केट में ड्रैगन फ्रूट 300 से 400 रुपये किलो में निकल जाता है. 

कीवी

कीवी को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है, जहां पर ठंडी हवा आसानी से पहुंच सके, क्योंकि गर्म हवा कीवी को नुकसान पहुंचा सकती है. जानकारी के मुताबिक गहरी, दोमट, बलुई दोमट या हलकी अम्लीय मिट्टी कीवी की खेती के लिए बेस्ट मानी जाती है. ध्यान रहे कीवी का पौधा लगाने से पहले PH मान की जांच जरूर करवा लें. कीवी का पौधा लगाते समय तापमान 15 डिग्री तक होना चाहिए.  बता दें कि एक हेक्टेयर से 10 से 15 टन फल प्राप्त हो सकते हैं. कीवी के पौधों को फल देने में 2 से 3 साल लगते हैं. चार से पांच साल बाद इन पौधों में फल आते हैं. जिसे अच्छे तरीके से बड़ा होने में और बाजार में आने में 8 से 10 साल लग जाते हैं. इससे किसानों को गजब का मुनाफा होता है.

स्ट्रॉबेरी

स्ट्रॉबेरी की खेती सामान्यतः: साल के आखिर में शुरू की जाती है. इसकी बुवाई सितंबर और अक्टूबर के महीने में की जाती है. बुवाई से करीब 1 सप्ताह पहले खेत की अच्छे से जुताई की करें. और इसके बाद इसमें गोबर की खाद अच्छे से मिले और उसके साथ ही कीटनाशक के तौर पर पोटाश और फास्फोरस मिलाएं. किसानों ने अब परंपरागत खेती के अलावा और भी कई तरह की फसलें करना शुरू कर दिया है.

जिनमें अलग-अलग फलों की खेती भी शामिल है. ऐसा ही एक फल है स्ट्रॉबेरी जो आमतौर पर ठंडे इलाकों में होता है. स्ट्रॉबेरी की खेती से किसान अब लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. पहले जहां इसकी खेती हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और कश्मीर में हुआ करती थी. वहीं अब सिर्फ ठंडे इलाकों में ही नहीं बल्कि कम ठंड वाले क्षेत्र जैसे कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी हो रही है. चलिए जानते है कैसे स्ट्रॉबेरी की खेती से लाखों का मुनाफा कमाया जा सकता है.

एवोकाडो

एवोकाडो एक गर्म मौसम का फल है जिसकी खेती अब भारत में भी की जा रही है, खासकर केरल, पंजाब और अन्य राज्यों में. इसकी खेती के लिए 20-30 डिग्री तापमान आदर्श है और भारतीय बाजार में इसकी कीमत 500 रुपये प्रति किलो से भी ज्यादा होती है. एवोकाडो की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि एवोकाडो की खेती 5000 साल पहले शुरू हुई थी.

एवोकाडो 19वीं शताब्दी में श्रीलंका के रास्ते से भारत के दक्षिणी इलाकों में आया. इसके बाद में ये उत्तर भारत के राज्यों में फैल गया. उत्तर भारत के राज्यों में भी इसकी काफी ज्यादा खेती की जा रही है. एवोकाडो को संतुलित नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की जरूरत होती है. वसंत और सर्दियों के मौसम में खाद दें, जैविक खाद भी प्रयोग कर सकते हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार एवोकाडो की खेती के लिए लैटेराइट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. इसके अलावा मिट्टी की पीएच वैल्यू 5 से 6 के मध्य होना चाहिए.

यह भी पढ़ें: घर पर किस तरह आसानी से उगा सकते हैं नींबू का पौधा, आज जान लें आसान तरीका



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version