यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल होयसल मंदिर: यूनेस्को ने कर्नाटक के होयसल मंदिरों को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है. इसको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के लिए गौरवशाली बताया है.
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि होयसलों के भव्य पवित्र मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल करना भारत के लिए गौरवपूर्ण है. इन मंदिरों की कभी न खत्म होने वाली खूबसूरती भारत की सांस्कृतिक विरासत और हमारे पूर्वजों के असाधारण शिल्प कौशल का प्रमाण है.
भारत के लिए और अधिक गौरव!
होयसलों की भव्य पवित्र टुकड़ियों को इस पर अंकित किया गया है @यूनेस्को विश्व विरासत सूची। होयसल मंदिरों की शाश्वत सुंदरता और जटिल विवरण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और असाधारण शिल्प कौशल का प्रमाण हैं… https://t.co/cOQ0pjGTjx
— Narendra Modi (@narendramodi) 18 सितंबर 2023
वहीं, इस मौके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “अच्छी खबर आ रही. हमारी पारंपरिक कला और वास्तुकला को मान्यता देते हुए यूनेस्को ने होयसलों के मंदिर को विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल कर लिया गया है.”
हाइपर-रियल मूर्तियां
इससे पहले यूनेस्को ने सोमवार (17 सितंबर) को बेलूर, हलेबिदु और सोमनाथपुरा क्षेत्रों में स्थित कर्नाटक के होयसला मंदिरों ने यूनेस्को की विश्व विरासत सूची शामिल करने का ऐलान किया था.
यूनेस्को की आधिकारिक वेबसाइट में कहा गया है कि मंदिरों की विशेषता हाइपर-रियल मूर्तियां हैं. साथ ही इनके पत्थर पर नक्काशी की गई है जो संपूर्ण वास्तुशिल्प सतह को कवर करती है.
2014 में यूनेस्को की संभावित सूची में हुई थी शामिल
होयसला के पवित्र स्मारक 2014 से यूनेस्को की संभावित सूची में थे. इसे जनवरी 2022 में 2022-23 के लिए भारत की ओर से विश्व धरोहर स्थल में शामिल करने के लिए नामांकित किया गया था. बता दें कि ये मंदिर 12वीं से 13वीं शताब्दी में बनाए गए थे और होयसल युग के कलाकारों और वास्तुकारों की रचनात्मकता और कौशल के प्रतीक हैं.
होयसल साम्राज्य का शासन
होयसल साम्राज्य ने 10वीं और 14वीं शताब्दी के बीच कर्नाटक राज्य के एक बड़े हिस्से पर शासन किया था. साम्राज्य की राजधानी शुरू में बेलूर में थी. हालांकि, बाद में इसे हलेबिदु में स्थानांतरित कर दिया गया था.
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