जाति सर्वेक्षण डेटा परिणाम: बिहार सरकार की ओर से बीते दिन सोमवार (02 अक्टूबर) को राज्य में कराए गए जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी कर दिए गए. अब इसके नतीजों और आगे क्या कदम उठाए जाने चाहिए, इस पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार (03 अक्टूबर) को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. जिसमें शामिल होने के लिए उन्होंने राज्य की सभी पार्टियों से आग्रह किया है.
नीतीश कुमार ने राज्य की सभी नौ पार्टियों से इसमें भाग लेने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि सरकार परिणामों के पीछे की गणना और सर्वेक्षण में शामिल लोगों की आर्थिक स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगी. समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से बिहार के मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, “सब कुछ करने के बाद नतीजा सामने आया. हमने हर परिवार की आर्थिक स्थिति की जानकारी ली है. कल सर्वदलीय बैठक में हम सारी बातें सबके सामने रखेंगे. बैठक में सभी के सुझाव लेने के बाद सरकार सभी जरूरी कदम उठाएगी.”
बिहार सरकार ने सोमवार को अपने जाति-आधारित सर्वेक्षण के नतीजे साझा किए. सर्वे से पता चला कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) राज्य की आबादी का 63 प्रतिशत है. 13 करोड़ की आबादी में अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 19 प्रतिशत से अधिक है, जबकि अनुसूचित जनजाति की संख्या 1.68 प्रतिशत है. राज्य की आबादी में ऊंची जातियां या ‘सवर्ण’ 15.52 प्रतिशत हैं. बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर सरकार राज्य में पिछड़े समुदायों के लाभ के लिए काम करेगी.
इस साल जनवरी में शुरू हुए सर्वेक्षण को पटना उच्च न्यायालय ने कुछ समय के लिए रोक दिया था. दरअसल इसको लेकर कोर्ट में याचिकाएं डाली गईं थीं. राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन के नेता आरोप लगाते रहे हैं कि याचिका दायर करने वाले लोग बीजेपी समर्थक थे. वहीं पार्टी ने इस आरोप से इनकार कर दिया. सीएम नीतीश कुमार ने सवाल करते हुए कहा कि बीजेपी ने पिछड़े लोगों के लिए किया ही क्या है?