चेतावनी! हीट वेव के कारण गर्भवती महिलाओं को समय से पहले लेबर पेन…बच्चे के जन्म का हो सकता है



<पी शैली="पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;">इस समय सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में भीषण गर्मी पड़ रही है। इस समय गर्मी और लू के कारण कई लोगों के लिए जान पाना मुश्किल है। बढ़ती गर्मी और लू के कारण बड़े, गर्भवती, शिशु सभी लोग काफी ज्यादा परेशान हैं। भारत के कुछ हिस्सों में गर्मी 45-50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गई है।

"पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;"भारत के इन राज्यों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है

"पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;"इन दिनों ऐसी ही भीषण गर्मी दिल्ली के मुंगेशपुर, नजफगढ़ और नरेला में पड़ रही है। इन स्थानों पर 50 डिग्री सेल्सियस का तापमान पहुंच गया है। कुछ ऐसी ही स्थिति पाकिस्तान की भी है। पाकिस्तान में 52 डिग्री तापमान पहुंच गया है। हालांकि, बढ़ती हुई गर्मी और लू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इस गर्मी में गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए यह गर्मी काफी खतरनाक है।

"पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;">अमेरिका की नेवादा यूनिवर्सिटी की खास रिसर्च

हमारे शोध के अनुसार हाल ही में एक अध्ययन सामने आया है। ‘अमेरिका की नेवादा यूनिवर्सिटी’ के शोधकर्ताओं के अनुसार ‘जर्नल जामा नेटवर्क ओपन’ में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी, जिसमें नेवादा यूनिवर्सिटी के साथ-साथ एमोरी, येल और यूटा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता शामिल थे। इस शोध में नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक ने अपना विशेष योगदान दिया।

प्रीमैच्योर सूजन को लेकर किया गया यह खास शोध

इस शोध में यह बात भी साबित हो चुकी है कि गर्मी के कारण किसी भी गर्भवती महिला को लेबर पेन के साथ प्रीमैच्योर पेन भी हो सकता है। इतनी अधिक गर्मी जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है। इतनी ज्यादा भीषण गर्मी, लू के कारण, तकलीफ बढ़ रही है। गर्मी के कारण गर्भवती महिला और अजन्मे बच्चे के लिए भी यह मौसम काफी खतरनाक है।

"पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;">यह रिसर्च 50 से ज्यादा मेट्रो पॉलिटन सीटी में किया गया है। यह शोध बच्चों के जन्म लेने वाले पर आधारित है। इस शोध में शोधकर्ताओं को 1993 से 2017 के बीच जन्म लेने वाले 5.31 करोड़ बच्चों के जन्म से जुड़ी पूरी स्थितियों का विश्लेषण किया गया है।

"पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;">इस शोध में यह बात स्पष्ट की गई है कि अगर गर्मी होती है तो यह टेम्परेचर चार दिनों तक एक जैसा टेम्परेचर कर रहा है तो इस गर्मी की स्थिति में प्रीमैच्योर डिलीवरी और समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या बढ़ सकती है।

"पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;"रिसर्च में आई रिपोर्ट:

गर्मी में जन्म से पहले जन्म लेने वाले बच्चे 21, 53, 609. वहीं प्रारंभिक अवधि जन्म के 57,95,313. इनमें से 30 प्रतिशत मां की उम्र 25 साल से कम थी। वहीं  53.8 सेंटीमीटर 25 से 34 साल की आयु. जबकि 16.3 प्रतिशत ऐसी उम्र की महिला की उम्र 35 साल से कम की थी। इस रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि पिछले 25 सालों में प्रीमैच्योर जन्म में काफी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। वहीं समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या काफी अधिक बढ़ती है।

"पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;">इस रिसर्च में एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि इसमें 30 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में प्रीमैच्योर की शिकायत काफी ज्यादा बढ़ गई है।

"पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;">समय से पहले जन्म कब कहा जाता है?

समय से पहले जन्म लेने पर वह स्थिति तब कही जाती है जब शिशु गर्भावस्था के 37 सप्ताह पहले हो जाता है। इस दौरान या उससे पहले जन्म लेने वाले बच्चे को प्रीमैच्योर कहा जाता है। गर्भावस्था के 37 से 39 सप्ताह के बीच जन्म लेने वाले बच्चे को प्रारंभिक अवस्था में जन्म दिया जाता है। वहीं अगर किसी बच्चे का जन्म 40वें सप्ताह के बाद होता है तो उसे सामान्य कहा जाता है।

"पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;">समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे के शरीर में कई सारी प्रार्थनाएँ दिखाई दे सकती हैं। उनका विकास ठीक से नहीं होता और उनकी मृत्यु का कारण भी बन सकता है। पूरी जिंदगी वह बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह खबरें सांस, मेंटल हेल्थ और बिहेवियर डिसऑर्डर से जुड़ी हो सकती है।

"पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;">इस मामले में भारत है नंबर वन

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई रिपोर्ट "बर्न टू सुन: डिकेड ऑफ एक्शन ऑन प्रीटर्म बर्थ" में खुलासा किया गया है कि भारत में वर्ष 2020 के दौरान 30.2 मिलियन बच्चों का जन्म समय से पहले हो गया था। उसी समय से पहले जन्में बच्चों की संख्या प्रतिदिन 13 प्रतिशत बढ़ रही है। भारत में हर 13वें बच्चे का जन्म समय से पहले हो जाता है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 में पूरी दुनिया में 22.5 प्रतिशत बच्चे भारतीय थे। इस मामले से हम कह सकते हैं कि भारत इस मामले में नंबर वन पर है।

"पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;">यह भी पढ़ें: जब छोटे बच्चों को लू लग जाए तो, आगे के लिए जरूर आजमाएं ये घरेलू उपाय



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