हिंदू धर्म में चैत्र का इतना महत्व क्यों है, जानें चैत्र माह के नियम और पर्व-त्योहार से जुड़ी संपूर्ण जानकारी

हिंदू धर्म में चैत्र का इतना महत्व क्यों है, जानें चैत्र माह के नियम और पर्व-त्योहार से जुड़ी संपूर्ण जानकारी


चैत्र मास 2024: चैत्र मास 26 मार्च से शुरू होकर 23 अप्रैल तक रहेगा। इस महीने के तीज-त्योहार बेहद खतरनाक होते हैं, क्योंकि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है।

इसी महीने ब्रह्मा जी ने सृष्टि रची और भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। चैत्र मास में सूर्य अपनी उच्च राशि में होता है और इसी मास में प्रथम ऋतु अर्थात वसंत का मौसम होता है।

हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र शुरू हो गया है। 15 दिन बाद यानी 9 अप्रैल से हिंदू नववर्ष शुरू होगा. चैत्र माह के पहले 15 दिनों की गिनती नए साल में नहीं होती, क्योंकि इन दिनों चंद्रमा की ओर अंधेरा होता है, यानी तारों की दिशा बढ़ जाती है।

15 दिनों में चंद्रमा की स्थिरता घटी और अँधेरा बढ़ा। सनातन धर्म तमसो मां ज्योतिर्गमय यानी अंधेरे से उजाले की तरफ जाने की बात है, इसलिए चैत्र के महीने के अगले दिन की पहली तारीख को जब चंद्रमा की वृद्धि होती है तो उस दिन नववर्ष होता है।

चैत्र माह का महत्व

चैत्र मास में सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश करता है। इन दिनों ग्रीष्म ऋतु रहती है और मौसम भी बदलता रहता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी वैचारिक परिवर्तन भी होते हैं। इस महीने को भक्ति और संयम का महत्व भी कहा जाता है। क्योंकि आजकल कई व्रत और त्योहार आते हैं।

सेहत पर ध्यान देते हुए इस महीने में आने वाले व्रत-पर्व की परंपराएं बनाई गई हैं. इस महीने में सूर्योदय से पहले ठंडा ठंडा पानी से नहाना चाहिए। इसके बाद उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने वाले बाजार में एक बार ही खाना खाना चाहिए।

ऐसा करने से बचपन से बचे रहते हैं और उम्र भी बढ़ जाती है। ये बातें पुराणों के साथ ही आयुर्वेद ग्रंथों में कही गई हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना प्रारम्भ की थी।

इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से प्रथम मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में जल में से मनु की नौका को सुरक्षित स्थान पर सुरक्षित रखा था। प्रलयकाल समाप्त होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई।

ब्रह्म और नारद पुराण: ब्रह्मा जी ने की रचना

सनातन काल गणना में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि से ही नववर्ष प्रारम्भ होता है, क्योंकि ब्रह्मा और नारद पुराण के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। सृष्टि की रचना के करीब दो अरब वर्ष बाद सम्राट विक्रमादित्य ने नई संवत रचना की।

इस दिन की शुरुआत उसी दिन से हुई जिस दिन सृष्टि बनी थी। ब्रह्माण्ड पुराण में इस तिथि को नये संवत्सर की पूजा करने का विधान बताया गया है। तिथि और पर्व निर्धारित करने वाले ग्रन्थ निर्णय सिन्धु, हेमाद्रि और धर्म सिन्धु में इस तिथि को पुण्याद कहा गया है। इस तिथि को आदियुग कहा जाता है। यानी इस दिन से सतयुग की शुरुआत हुई थी।

इस विक्रम संवत में दो तरह के महीनों की गिनती होती है। नए महीने की शुरुआत के बाद महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में सब्जी खत्म होने लगती है। वहीं, उत्तर भारत समेत ज्यादातर जगहों पर पूर्णिमा के अगले दिन से नया महीना शुरू होता है।

इसी कारण होली के अगले दिन नया महीना लग जाता है। लेकिन हिन्दू नववर्ष 15 दिन के बाद शुरू होता है।

चैत्र में हुआ भगवान विष्णु का पहला अवतार

पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना प्रारम्भ की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से प्रथम मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में जल में से मनु की नौका को सुरक्षित स्थान पर सुरक्षित रखा था। प्रलयकाल समाप्त होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई।

चैत्र मास में क्या करें और क्या नहीं

  • महाभारत के अनुसार इस महीने में एक समय खाना-खाना चाहिए। नियमित रूप से भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करनी चाहिए और व्रत भी करना चाहिए।
  • इस महीने सूर्योदय से पहले आकर्षण और योग का विधान है। ऐसा करने से तनावमुक्त और स्वस्थ्य रहते हैं।
  • इस महीने में सूर्य और देवी की पूजा करनी चाहिए, जिससे पद-प्रतिष्ठा के साथ ही शक्ति और ऊर्जा भी मिलती है।
  • चैत्र मास के दौरान नियमों से पेड़-पौधों में जल और लाल फलों का दान करना चाहिए।
  • चैत्र मास में एक समय खाना खाने से बेचैन रहते हैं। इस महीने में गुड़ खाना मनही है. वहीं, नीम के पत्ते की बात आयुर्वेद में बताई गई है।
  • सोने से पहले हाथ-मुँह धोना चाहिए और अच्छे कपड़े की रेटिंग चाहिए। सेक्स संबंध का वर्णन करें. अंतिम श्रंगार करना चाहिए.
  • इस महीने भोजन में अनाज का उपयोग कम से कम और पत्तियों का उपयोग अधिक करना चाहिए। इस महीने से बस भोजन, खाना बंद कर देना चाहिए।
  • आयुर्वेद के अनुसार इस महीने ठंडे पानी से नहाना चाहिए और गर्म पानी से नहाना चाहिए।

न दूध का सेवन: चैत्र मास में पेट का पाचन थोड़ा सा ख़राब हो जाता है, इसलिए इस महीने में दूध का सेवन बंद कर देना चाहिए। इस महीने में दूध का सेवन नुकसानदेह हो सकता है। इस महीने दूध के त्योहार में दही और मिसरी का सेवन करने से लाभ होगा।

कर दे नमक का त्याग: चैत्र मास में नमक का सेवन न करें. इस महीने में कम से कम 15 दिन तक नमक का सेवन न करें। अगर नमक का त्याग न कर सके तो आप सेंधा नमक भी काम में ला सकते हैं। इस महीने में जिन लोगों को हाई बीपी रहता है उनके लिए नमक छोड़ना सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाता है।

न करें अधिक तला अन्य भोजन: चैत्र मास में तेली भुनी का प्रयोग कम से कम करें। इस महीने में आपको अपच की समस्या बनी रहती है। इस महीने आपको अधिक से अधिक फलों का सेवन करना चाहिए। तरल पदार्थ का प्रयोग करें और पानी वाले फल अधिक प्रभावी।




चैत्र मास व्रत-त्योहार सूची (चैत्र मास 2024 व्रत त्यौहार सूची)






















दिनांक (तारीख) वार (दिन) व्रत-त्योहार (Vrat-त्योहार)
28 मार्च 2024 गुरूवार भालचंद्र संक्राति चतुर्थी
30 मार्च 2024 शनिवार रंग पंचमी
01 अप्रैल 2024 सोमवार शीतला सप्तमी
02 अप्रैल 2024 मंगलवार शीतला अष्टमी
05 अप्रैल 2024 शुक्रवार पापमोचन एकादशी
06 अप्रैल 2024 शनिवार शनि प्रदोष व्रत
07 अप्रैल 2024 रविवार मासिक शिवरात्रि
08 अप्रैल 2024 सोमवार सूर्य ग्रहण, सोमवती चुंबक, सूर्य ग्रहण
09 अप्रैल 2024 मंगलवार चैत्र नवरात्रि, घट स्थापना, गुड़ी पड़वा, झूलेलाल जयंती
10 अप्रैल 2024 रविवार चैती चंद
11 अप्रैल 2024 गुरूवार गणगौर, मत्स्य जयंती
12 अप्रैल 2024 शुक्रवार विनायक चतुर्थी
13 अप्रैल 2024 शनिवार मेष संक्रांति
14 अप्रैल 2024 रविवार यमुना छठ
16 अप्रैल 2024 मंगलवार महातारा जयंती
17 अप्रैल 2024 रविवार चैत्र नवरात्रि पारणा, रामनवमी, स्वामी नारायण जयंती
19 अप्रैल 2024 शुक्रवार कामदा
21 अप्रैल 2024 रविवार महावीर स्वामी जयंती



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