नौतपा 2024 कब से शुरू होगा? भयंकर गर्मी, जानें 9 दिन तक क्या करें


नौतपा 2024 कब है: देश में गर्मी अब अपना प्रचंड रूप लेकर आई है। कुछ राज्यों में बेमौसम बारिश से लोगों को राहत तो मिली है, लेकिन ये राहत ज्यादा समय के लिए नहीं है। मई माह में नौतपा शुरू हो जाएगा।

नौतपा यानि गर्मी के भीषण 9 दिन। इन 9 दिनों की अवधि में सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी काफी कम हो जाएगी और इस कारण सूर्यदेव की तपिश काफी ज्यादा महसूस होगी। जानें साल 2024 में नुतपा कब शुरू होगा, इसके महत्व और इस दौरान क्या करें।

नौतपा 2024 कब शुरू (Nautapa 2024 Date)

सूर्य 25 मई 2024 दोपहर 3:15 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इसके बाद नौ दिन का नौतपा रहेगा। इसके साथ ही सूर्य देव 8 जून 2024 को 1:04 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे। 8 जून को ही सूर्य देव मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 15 जून को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।

नौतपा 2024 दिनांक: नौतपा 2024 कब से शुरू होगा?  भयंकर गर्मी, जानें 9 दिन तक क्या करें

चन्द्र की शीतलता भी कम होती है

चंद्र देव रोहिणी नक्षत्रों के स्वामी होते हैं, जो शीतलता के कारक होते हैं, लेकिन इस समय वे सूर्य के प्रभाव में आ जाते हैं। जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिन आते हैं तो उन पांच दिनों के पहले नौ दिन सबसे ज्यादा गर्मी वाले होते हैं। नौतपा के शुरुआती नौ दिनों को नौतपा के नाम से जाना जाता है। ज्येष्ठ मास की गर्म ऋतु में नवतपा को अधिक गर्मी का संकेत माना जाता है। नवतपा शुक्ल पक्ष में आर्द्रा नक्षत्र से 9 नक्षत्र तक यानी 9 दिन तक रहते हैं।

नौतपा में बारिश, बवंडर का भी डर

यह आवश्यक नहीं है कि नवतपा में अधिक गर्मी हो। आर्द्रा के 10 नक्षत्रों तक जो सबसे अधिक गर्मी प्राप्त करता है, उसके बाद सूर्य उस नक्षत्र में 15 दिनों तक रहता है और अच्छी वर्षा होती है। नौतपा की शुरुआत भी रोहिणी नक्षत्र से होगी. नवतपा में तेज हवा के साथ बवंडर और बारिश की संभावना बनी हुई है। नौतपा के समय की ग्रह स्थिति तेज हवा, बवंडर और बारिश का संकेत दे रही है। इस बार 25 मई से नौतपा शुरू होगा और 2 जून तक रहेगा।

नौतपा में भीषण गर्मी के ये हैं शुभ संकेत

  • नौतपा के कारण संक्रमण में कमी आएगी। संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर में कमी आएगी और संक्रमण का असर न्यूनतम होगा।
  • देश में फैला हुआ डर का सम्राट ख़त्म हो जाएगा। लोगों में अनुकूलता और स्वास्थ्यता भी विविधता।
  • यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है।

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नौतपा का पौराणिक महत्व

नौतपा का ज्योतिष के साथ-साथ पौराणिक महत्व भी है। ज्योतिष के सूर्य सिद्धांत और श्रीमद्भागवत में नौतपा का वर्णन आता है। कहते हैं जब से ज्योतिष की रचना हुई, तब से ही नौतपा भी आ रहा है। सनातन संस्कृति में सदियों से सूर्य को देवता के रूप में भी पूजा जाता है। नौतपा को लेकर लोक मान्यता है कि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो आगे के दिनों में अच्छी बारिश होती है।

ज्योतिषियों का कहना है कि चंद्रमा जब ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आर्द्रा से स्वाति नक्षत्र में आता है तब तक आपके शरीर में नमी हो और इसके साथ ही अधिक गर्मी मिले, तो वह नौतपा का उपाय है। साथ ही यदि सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होता है तो उस दौरान वर्षा भी होती है तो रोहिणी नक्षत्र का योग भी कहा जाता है।

नौतपा है दवा का गर्भकाल

सिद्धांत यह है कि सूर्य की गर्मी और रोहिणी के जल तत्व के कारण यह औषधि का गर्भ माना जाता है और इसी कारण से नौतपा को औषधि का गर्भकाल माना जाता है। ऐसे में जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र होता है तो उसी समय चंद्रमा नौ नक्षत्रों में भ्रमण करते हैं।

नौतपा पर क्या कहा जाता है विज्ञान (नौतपा का वैज्ञानिक कारण)

वैज्ञानिक मत यह है कि नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर आती हैं। इस कारण वृद्धि हुई है. अधिक गर्मी के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है जो समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है। इस कारण से अप्राकृतिक हवाएं मैदानों की ओर बढ़ती हैं। समंदर में उच्च दबाव वाला क्षेत्र होता है, जो कि सोया वैली का है, यह सूखी अच्छी बारिश का संकेत देता है।

नौतपा पर परंपरा

  • पौराणिक परंपरा के अनुसार नौतपा के दौरान महिलाओं को हाथ-पैर बांधे जाते हैं। क्योंकि तेलंगाना की तासीर सार्वभौमिक होने से तेज गर्मी से राहत मिलती है।
  • आजकल पानी बहुत पिया जाता है और जल दान भी किया जाता है ताकि पानी की कमी से लोग बीमार न हो जाएं।
  • इस तेज गर्मी से बचने के लिए दही, मक्खन और दूध का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है।
  • इसके साथ ही नारियल पानी और ठंडक देने वाली दूसरी और भी चीजें बनती हैं।

क्या करें और क्या न करें (नौतपा क्या करें और क्या न करें)

नवत्पा 25 मई 2024 से प्रारंभ हो रहा है। नौतपा के दिनों में विवाह जैसी मांगलिक यात्रा में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। संकेतों की स्थिति को देखते हुए देशों के पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में प्राकृतिक आपदाएं पैदा हो रही हैं। यह नौतपा 02 जून तक जारी.

नौतपा के दौरान सूर्य रोहिणी नक्षत्र रहते हैं। इसके फटने से सूर्य की सीधी किरणें पृथ्वी पर गिरती हैं, इस दौरान अत्यधिक भीषण गर्मी का अनुमान लगाया जा सकता है। सूर्य की स्थिर स्थिति से अशुभ फल मिल सकते हैं।

नौतपा में सूर्य की आराधना

रोहिणी नक्षत्र के दौरान सूर्य के अस्त होने से विशेष फल होता है। प्रातः सूर्योदय के पहले स्नान कर सूर्य को अर्घ दें। जलपात्र में कंकुम लगा दिया और सूर्य को जल चढ़ा दिया। जल चढ़ाते समय सूर्यदेव का मंत्र ऊँ घृणि सूर्याय नमः, या ऊँ सूर्यदेवाय नमः का लगातार जाप करें.

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