संजय मिश्रा अज्ञात तथ्य: 6 अक्टूबर 1963 के दिन बिहार के दरभंगा स्थित छोटे-से गांव सकरी में जन्मे संजय मिश्रा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. उनके पिता पीआईबी में जॉब करते थे, जिसके चलते उनका तबादला हुआ और संजय मिश्रा वाराणसी आ गए. बस काशी की गलियों में पले-बढ़े संजय मिश्रा को धीरे-धीरे एक्टिंग का चस्का लग गया. क्या आपको पता है कि संजय मिश्रा एक बार एक्टिंग को अलविदा भी कह चुके हैं? अगर नहीं तो आइए आपको इस किस्से से रूबरू कराते हैं. यकीन मानिए आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे.
इस फिल्म से शुरू हुआ था करियर
संजय मिश्रा ने पहले बीएचयू के केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लेकर एक्टिंग की पढ़ाई शुरू कर दी. साल 1989 के दौरान उन्होंने ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल की. साल 1995 में संजय मिश्रा को फिल्म ओह डार्लिंग ये है इंडिया से बॉलीवुड में डेब्यू करने का मौका मिला. हालांकि, फिल्म में उनका किरदार काफी छोटा-सा था. इसके बाद वह अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित स्टारर फिल्म राजकुमार में नजर आए.
संजय मिश्रा को ऐसे मिली पहचान
संजय ने फिल्म ‘सत्या’ और ‘दिल से’ में अहम किरदार निभाए, जिसके चलते उन्हें टीवी शो ऑफिस ऑफिस में शुक्ला का किरदार मिला. इस शो ने उन्हें घर-घर में मशहूर कर दिया. वहीं, फिल्म बंटी और बबली ने तो उनकी शोहरत में चार चांद लगा दिए. फिल्म फंस गए रे ओबामा और आंखों देखी के लिए संजय मिश्रा को अवॉर्ड भी मिले.
जब संजय मिश्रा ने छोड़ दी एक्टिंग
हुआ यूं था कि एक बार संजय मिश्रा के पेट में इंफेक्शन हो गया. तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो वह अपने पिता के पास चले गए. वहां संजय तो ठीक हो गए, लेकिन उनके पिता का निधन हो गया. इस घटना से संजय इस कदर टूट गए कि उन्होंने एक्टिंग की दुनिया को छोड़ दिया और उत्तराखंड में एक ढाबे पर काम कने लगे. डायरेक्टर रोहित शेट्टी ही वह शख्स हैं, जिन्होंने न सिर्फ संजय मिश्रा को ढूंढा, बल्कि उन्हें सिनेमा की दुनिया में वापस लाने में भी कामयाब रहे.
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