वृषभ संक्रांति कब? स्नान-दान पुजारी, इस दिन तर्पण, सूर्य देव की पूजा का महत्व, जानें

वृषभ संक्रांति कब?  स्नान-दान पुजारी, इस दिन तर्पण, सूर्य देव की पूजा का महत्व, जानें


वृषभ संक्रांति 2024: वैशाख माह में होने वाली सूर्य संक्रांति को ग्रंथों में महत्वपूर्ण पर्व बताया गया है। इस दिन गए तीर्थ स्नान से जाने-अनजाने में हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इस वर्ष मई 2024 में जब सूर्य अपनी उच्च राशि मेष से निकलेगा तो वृषभ संक्रांति मनायी जायेगी।

वैशाख मास में वृषभ संक्रांति पर किया गया दान कभी समाप्त नहीं होने वाला पुण्य प्रदान करता है। जानिए वृषभ संक्रांति की तिथि, पितृ पक्ष और महत्व।

वृषभ संक्रांति 2024 तिथि (वृषभ संक्रांति 2024 तिथि)

इस वर्ष वृषभ संक्रांति 14 मई 2024, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव शाम 06 मिथुन राशि 04 मिनट पर वृषभ राशि में गोचर करेंगे। वृषभ शुक्र की राशि है.

गुरु-सूर्य की युति देवी लाभ

1 मई 2024 को गुरु बृहस्पति वृषभ राशि में आ जायेंगे। ऐसे में वृषभ संक्रांति पर गुरु और सूर्य की युति बनेगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु और सूर्य की युति से सुख-समृद्धि, धन-ऐश्वर्य मान-सम्मान आदि मिलता है। बौद्धिक क्षेत्र में भी यह युति यश प्रदान करता है।

वृषभ संक्रांति 2024 समय (वृषभ संक्रांति 2024 समय)

वृषभ संक्रांति पर पुण्य काल सुबह 10 बजे 50 मिनट पर शुरू होगा और सैम 06 पर 04 मिनट तक रहेगा।

वहीं वृषभ संक्रांति का महापुण्य काल दोपहर 03 बजे 49 मिनट से प्रारंभ होकर अपराह्न 06 बजे 04 मिनट पर समाप्त होगा।

वृषभ संक्रांति महत्व (वृषभ संक्रांति महत्व)

वृषभ संक्रांति के दिन जो कोई भी व्यक्ति पूजा-पाठ और व्रत आदि करता है उसके जीवन में यश और वैभव की प्राप्ति होती है वृषभ संक्रांति में ही ग्रीष्म ऋतु अपने चरम पर रहती है। इसलिए इस दौरान अन्न एवं जल दान का विशेष महत्व है।

वृषभ संक्रांति पर क्या करें (वृषभ संक्रांति पूजा)

  • इस दिन सूर्योदय से पहले तीर्थ तीर्थ स्नान करना चाहिए। तीर्थ में न जा सावधा तो घर पर ही पानी में गंगाजल संस्थान से पुण्य मिलता है।
  • इसके बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
  • इस दिन गए श्राद्ध से पितरों को संतुष्टि मिलती है।
  • हो सकता है कि आप इस दौरान अपने घर के बाहर प्याऊ लगाएं या फिर पानी की जांच करें।
  • वृषभ संक्रांति के दिन भगवान शिव के रुद्र स्वरूप और भगवान सूर्य की पूजा करने की परंपरा सांझ से चली आ रही है।

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