वरलक्ष्मी व्रत से दूर होती है पैसों की तंगी, जानें कथा और महत्व

वरलक्ष्मी व्रत से दूर होती है पैसों की तंगी, जानें कथा और महत्व


वरलक्ष्मी व्रत 2023: 25 अगस्त 2023 को वरलक्ष्मी व्रत है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, संतान की प्रतिमा, धन, सौंदर्य, ऐश्वर्य और कीर्ति प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत सावन माह के आखिरी शुक्रवार को मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी के वरलक्ष्मी रूप की पूजा का विधान है।

लक्ष्मी व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता की छाया भी दूर हो जाती है और उसकी कई पीढ़ियां भी लंबे समय तक सुखी जीवन बिताती हैं। इस व्रत की कथा सुनने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। दक्षिण भारत में वरलक्ष्मी व्रत की विशेष व्याख्या है।

वरलक्ष्मी व्रत कथा (VaraLakshmi Vrat katha)

पौराणिक कथा के अनुसार स्वयं भगवान शिव ने माता पार्वती को वरलक्ष्मी व्रत की कथा बताई थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार मगध देश में कुंडी नाम का नगर था। जहां रहती थी चारुमती नाम की महिला, जो थी मां लक्ष्मी की परम भक्त। चारुमति हर शुक्रवार को मां लक्ष्मी के निमित्त व्रत कर विधि विधान से पूजन करती थी। एक बार मां लक्ष्मी चारुमती के सपने में आईं और उन्होंने सावन के आखिरी शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत करने के लिए कहा।

धन-धान्य प्रदान करने वाला व्रत

चारुमती विधि ने मां लक्ष्मी के आदेश को पूरा करते हुए पूरे निर्भय व्रत का पालन किया। जब चारुमती की पूजा-अर्चना हुई तो मां वरलक्ष्मी का आशीर्वाद मिलने से उनका भाग्य पलट गया। चारुमती का घर अन्न, धन से भर गया। उनका शरीर सोने-ब्याह के गहनों से टूट गया। इसके बाद नगर की सभी महिलाओं ने भी इस व्रत को किया, जिससे नगर में धन, संपत्ति, अनाज की समृद्धि हो गई। मां लक्ष्मी की कृपा से यहां रहने वालों को कभी धन की कमी नहीं होती। धीरे-धीरे इस व्रत का चलन दक्षिण भारत में बढ़ता गया और इसे धन-धान्य प्रदान करने वाला व्रत माना जाने लगा

वरलक्ष्मी व्रत 2023 मुहूर्त (Varalakshmi Vrat 2023 Muhurat)

  • सिंह उत्सव पूजा उत्सव (प्रातः) – प्रातः 05:55 – प्रातः 07:42
  • वृश्चिक गणेश उत्सव (अपराह्न) – दोपहर 12:17 – दोपहर 02:36
  • कुंभ पूर्णिमा महोत्सव (संध्या) – शाम 06:22 – रात्रि 07:50
  • वृषभ पूर्णिमा उत्सव (मध्यरात्रि) – रात्रि 10:50 – प्रातः 12:45, 26 अगस्त

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