अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगा रहा है: भारत की विदेश नीति हमेशा गुटनिरपेक्षता की रही है। हालाँकि, फेसबुक पर इंटरनेट कनेक्शन और रूस-यूक्रेन युद्ध के चल रहे भारत के संबंध ईरान के साथ भी प्रगाढ़ हो गए हैं। अमेरिका का आरोप है कि भारत ईरान से रूस के अधिग्रहण में सहायक की भूमिका निभा रहा है, जिसके कारण भविष्य में भारत में भी अमेरिकी परिधानों की तलवारें लटक सकती हैं। विस्तृत विवरण से जानिए भारत पर इस अमेरिकी प्रतिबंध के बारे में और इस प्रतिबंध का भारत पर क्या असर होगा कि भारत अपनी यात्रा पर पीछे क्यों रहेगा?
युद्ध का बदलता स्वरूप
संयुक्त राज्य अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगा रहा है: भारत-ईरान-अमेरिका के बीच संबंध
देश | अंतिम संबंध | विश्वकोश अनुपात में टुकड़ा |
भारत | ईरान के साथ तेल व्यापार, ईरान-रूस-भारत परिवहन यात्रा में भागीदार | रूस और ईरान दोनों के बीच अच्छे संबंध, पश्चिमी देश और चीन के बीच संतुलन बनाने में भूमिका |
ईरान | रूस को शुरुआती आपूर्ति, भारत के साथ मजबूत व्यावसायिक संबंध | पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्लांट से प्रभावित |
अमेरिका | भारत को चीन के प्रति संतुलन साधने के लिए अहम सहयोगी नियुक्त किया गया है | रूस और ईरान के साथ भारत के बढ़ते संबंध अमेरिका के लिए चिंता का विषय |
भारत ईरान को दे रहा है रूस की मदद?
- अमेरिका ने भारतीय उद्यमों पर प्रतिबंध लगाया
- रूस को ईरानी नागालैंड में भारत की क्या भूमिका है?
![अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगा रहा है](https://i0.wp.com/www.sarkariyojnaa.com/wp-content/uploads/2024/05/USA-imposing-sanction-On-INDIA-1024x638.png?resize=640%2C399&ssl=1)
भारत, ईरान और रूस के बीच रक्षा संबंध
देश | संबंध का प्रकार | मुख्य सहयोग क्षेत्र |
---|---|---|
भारत | ईरान के साथ | रक्षा उपकरण और तकनीकी सहायता |
भारत | रूस के साथ | सैन्य उपकरण और डिज़ाइन सहयोग |
ईरान | रूस के साथ | लैंडिंग और सैन्य प्रौद्योगिकी सहयोगी |
भारत पर बांस का इतिहास
- भारत में परमाणु कार्यक्रम के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है
- भारत द्वारा अन्य देशों अफ्रीका में प्रतिबंध लगाया गया (उदाहरण: दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के विरोध में प्रतिबंध)
भारत द्वारा झेले गए प्रमुख प्रतिबंध
वर्ष | देश/समूह | प्रतिबंध का कारण |
1974 | कनाडा, अमेरिका | पहला परमाणु परिक्षण (ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा) |
1998 | अमेरिका, जापान | पोखरण में दूसरा परमाणु परीक्षण |
1992 | अमेरिका | इसरो पर प्रतिबंध (रूस से क्रायोजेनिक तकनीक हासिल करने पर) |
![भारत पर संयुक्त राज्य अमेरिका की मंजूरी](https://i0.wp.com/www.sarkariyojnaa.com/wp-content/uploads/2024/05/USA-sanction-On-INDIA-1024x638.webp?resize=640%2C399&ssl=1)
बांस से भारत पर क्या असर?
- भारतीय बैंकों पर प्रतिबंध का सीधा असर
- अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा प्रतिबंध लगाने का खतरा
- भारत की ‘गुटनिरपेक्षता’ की नीति पर असर?
प्रभाव
- भारत- अमेरिका संबंध प्रभावित हो सकते हैं
- विशिष्ट सहयोग में कमी आ सकती है
- भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को चुनौती
- घरेलू तकनीकी विकास पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है
भारत की जरूरत अमेरिका के लिए चीन को साधन
- अमेरिका ‘क्वाड’ के तहत भारत को अहम दर्जा दिया गया है
- चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में भारत में भूमिका निभाई जा सकती है
क्या है रास्ता?
- रूस-यूक्रेन युद्ध के ख़त्म होने में भारत की अहम भूमिका हो सकती है
- तेल आयात के लिए अन्य विकल्पों पर ध्यान देना होगा
- ईरान के साथ संतुलन बनाए रखेगा भारत को
आत्मनिर्भरता ही समाधान है
- देशी तकनीक के विकास को बढ़ावा दिया जायेगा
- विदेशी सामान से ऑटोमोबाइल मुक्ति
- ‘मेक इन इंडिया’ को नई गति प्रदान करना आवश्यक है
निष्कर्ष
भारत एक ऐसा मोड़ पर खड़ा है जहां भविष्य पर काफी अनिश्चित नजरें आ रही हैं। अमेरिकी गुटनिरपेक्षता की नीति के लिए खतरा अमेरिकी गुटनिरपेक्षता की नीति एक चुनौती है। ऐसे में भारत को ईरान सहित अन्य देशों के साथ संबंध बनाना और आत्मनिर्भरता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण होगा।
FAQ संयुक्त राज्य अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगा रहा है
भारत ने किसी भी युद्ध में सीधे तौर पर हिस्सा नहीं लिया है और गुट निरपेक्ष की अपनी नीति जारी रखी है। भारत का मानना है कि किसी भी विवाद का समाधान मलेशियाई बातचीत से हो सकता है।
भारत में मुख्य रूप से उसके महत्वाकांक्षी परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाया गया है। भारत ने परमाणु प्रसारण संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
अमेरिका ने भारत पर सीधे तौर पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। हालाँकि, ईरान को समुद्र तट पर सहायता देने के आरोप में 3 भारतीय संस्थानों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।