UPSC में प्री-मेन्स और इंटरव्यू तो झांकी है, IAS बनने की असली चुनौती अभी बाकी है…

UPSC में प्री-मेन्स और इंटरव्यू तो झांकी है, IAS बनने की असली चुनौती अभी बाकी है...


प्री, मेन्स से लेकर इंटरव्यू तक, एक आईएएस अधिकारी का जीवन: यूपीएससी सीएसई परीक्षा 2023 के नतीजे हाल ही में रिलीज हुए हैं. इसी के साथ एक बार फिर से देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा आईएएस की चर्चा जोरों पर है. एग्जाम में टॉप करने वाले कैंडिडेट्स को इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेस ज्वॉइन करने का मौका मिलता है. देश ही नहीं दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाने वाली यूपीएससी सिविल सेवा के बारे में आज हम डिटेल मे बात करते हैं. साथ ही, जानते हैं कि क्या प्री, मेन्स और इंटरव्यू क्लियर करने के बाद ही कोई कैंडिडेट आईएएस बन जाता है या कई और हर्डल उसका इंतजार करते हैं. आइए जानते हैं प्री से लेकर आईएएस बनने तक के प्रोसेस को A से Z तक…

इतिहास पर डालें नजर

सिविल सेवा परीक्षा का इतिहास बहुत पुराना और ये अंग्रेजों के समय में इंडिया में इंट्रॉड्यूज की गई थी. साल 1854 में लंदन में सिविल सर्विसेस कमीशन बना और साल 1855 से एग्जाम शुरू हुए. सबसे पहले इंडियन सिविल सर्विसेस के लिए एग्जाम लंदन में होता था. एज लिमिट 18 से 23 साल थी. सिलेबस विदेशी ज्यादा था तो इंडियंस के लिए इसे पास करना खासा मुश्किल होता था. पहली बार रबींद्रनाथ टैगोर के भाई श्री सत्येंद्रनाथ टैगोर ने 1864 में ये एग्जाम पास किया था.

कई सालों के प्रयास के बाद इंडियन सिविल सर्विस परीक्षा 1922 से इलाहाबाद और बाद में दिल्ली में आयोजित होने लगी. हालांकि लंदन में भी परीक्षा जारी रही. अक्टूबर 1926 में यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की स्थापना हुई.

यहां से होती है शुरुआत

ये परीक्षा साल में एक बार आयोजित की जाती है. इसे ऑफिशियली सिविल सर्विसेस एग्जाम कहते हैं जो यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन या संघ लोक सेवा आयोग आयोजित करता है. इसका कैलेंडर साल की शुरुआत में जारी हो जाता है कि कब कौन सा एग्जाम होगा. कुछ रेयर केसेस में तारीखों में बदलाव होता है.

सबसे पहले प्रीलिम्स या प्रारंभिक परीक्षा होती है जिसके लिए कैंडिडेट को आवेदन करना होता है. जैसे इस साल की आईएएस प्री परीक्षा या यूपीएससी सीएसई प्री परीक्षा 16 जून 2024 के दिन आयोजित होगी. फॉर्म ऑनलाइन जारी होते हैं. इन्हें समय से भरिए, फीस जमा करिए और प्री परीक्षा में शामिल होकर पहला चरण पास करिए.

लाखों के बीच होता है मुकाबला

छात्रों की संख्या के लिहाज से प्री परीक्षा सबसे पहला और कठिन चरण माना जा सकता है क्योंकि हर साल 10 से 11 लाख स्टूडेंट्स इसमें भाग लेते हैं. ये एक ऑब्जेक्टिव टाइप एग्जाम होता है. आवेदन के लिए योग्यता ग्रेजुशन है, लास्ट ईयर के स्टूडेंट्स भी अप्लाई कर सकते हैं. एक जनरल कैटेगरी का स्टूडेंट अधिकतम 6 बार परीक्षा दे सकता है, एज लिमिट 32 साल है. आरक्षित श्रेणी को दोनों ही मामलों में छूट मिलती है.

परीक्षा पैटर्न ऐसा होता है

प्री में दो पेपर होते हैं, पेपर वन जनरल स्टडीज का और पेपर टू जनरल स्टडीज सीसैट का. दूसरा पेपर क्वालीफाइंग होता है और पहले से रैंक बनती है. दोनों ही दो-दो घंटे के होते हैं और 200-200 मार्क्स के. पहले पेपर में 100 सवाल और दूसरे में 80 सवाल आते हैं. निगेटिव मार्किंग भी है. गलत जवाब पर एक तिहाई अंक कट जाता है. सीसैट पेपर पास करने के लिए 33 परसेंट मार्क्स लाने जरूरी हैं तभी मेन्स दे सकते हैं. प्री के मार्क्स फाइनल स्कोर में नहीं जुड़ते हैं.

फिर होता है मेन्स एग्जाम

प्री परीक्षा पास करने के बाद बारी आती है, मेन्स या मुख्य परीक्षा की. ये डिस्क्रिप्टव पेपर होता है और आपने जो विषय चुने हैं उनके लिए और जनरल स्टडीज के लिए आयोजित किया जाता है. इसमें कॉमन सब्जेक्ट के अलावा ऑप्शनल सब्जेक्ट भी होता है. ये ऑप्शनल विषय कैंडिडेट अपनी रुचि और मुख्य तौर पर विशेषज्ञता के आधार पर चुनते हैं. इसमें अच्छे अंक लाना, अच्छी रैंक के लिए बहुत जरूरी होता है.

मेन्स का पेपर पैटर्न ऐसा होता है

पेपर ए कंपलसरी होता है और इंडियन लैंग्वेज का होता है. इसी तरह पेपर बी इंग्लिश का होता है. ये दोनों क्वालीफाइंग नेचर के पेपर हैं और 300 मार्क्स के होते हैं. इसके बाद एक पेपर होता है ऐस्से का, अगला जनरल स्टडीज I, जनरल स्टडीज II, जनरल स्टडीज III, जनरल स्टडीज IV. इन पांच पेपरों के बाद छटवां और सातवां पेपर होता है ऑप्शनल I और II. ये सभी एग्जाम 3 घंटे के होते हैं और 250 मार्क्स के.

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अब है इंटरव्यू की बारी

मेन्स परीक्षा पास करने वाले कैंडिडेट्स को ही आखिरी चरण या इंटरव्यू देना होता है. ये 275 मार्क्स का होता है और इसे मिलाकर (मेन्स के 1750 अंक भी जोड़कर) कुल एग्जाम 2025 मार्क्स का होता है. इंटरव्यू के बाद मेन्स और इंटरव्यू के मार्क्स मिलाकर ही फाइनल रिजल्ट रिलीज होता है.

इसी के आधार पर मेरिट बनती है और टॉप करने वाले कैंडिडेट्स को आईएएस सेवा मिलती है. हालांकि अपनी पसंद के मुताबिक कैंडिडेट आईएएस, आईपीएस, आईएफएस में से कोई भी सेवा चुन सकता है. उसे अपनी सेवा का प्रिफरेंस फॉर्म में भरना होता है. एग्जाम हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में दे सकते हैं. सिलेबस से लेकर अन्य कोई भी जानकारी यूपीएससी की वेबसाइट upsc.gov.in से ली जा सकती है.

लबासना के सफर की शुरुआत

कैंडिडेट्स को परीक्षा के सारे चरण पार करने के बाद लबासना यानी लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, मसूरी में ट्रेनिंग के लिए जाना होता है. यहां बाकी सर्विसेस जैसे आईपीएस, आईएफएस आदि के कैंडिडेट भी ट्रेनिंग के लिए जाते हैं पर सभी की शुरुआत आईएएस ट्रेनिंग से होती है. सभी को चार महीने का फाउंडेशन कोर्स करना होता है, जहां बहुत सी चीजें सिखायी जाती हैं. कैंडिडेट्स सेंटर में सभी सर्विसेस के बीच कोऑर्डिनेशन, कोऑपरेशन आदि भी सीखते हैं.

दो साल बिताने होते हैं

एक आईएएस ऑफिसर को अपने कैडर में पोस्टिंग मिलने से पहले दो साल का ट्रेनिंग पीरियड पूरा करना होता है. कम उम्र के कच्ची समझ वाले नौजवानों की कड़ी मेहनत और इंटेलीजेंस उन्हें यहां तक तो ले आता है पर यहां उन्हें पॉलिश करके प्रशासनिक पद संभालने के लिए हर तरह से तैयार किया जाता है. यहां फिजिकल फिटनेस से जुड़ी भी कई ट्रेनिंग होती हैं. इस बारे में डिटेल lbsnaa.gov.in से पता किए जा सकते हैं.

ये चरण होते हैं ट्रेनिंग के

पहला चरण – आईएएस ट्रेनिंग के पहले चरण में भारत दर्शन या विंटर स्टडी टूर होता है. ग्रुप बना दिए जाते हैं जो अलग-अलग शिक्षण संस्थानों से लिंक होते हैं. भारत दर्शन में उन्हें इंडिया के सभी रंग दिखाए जाते हैं ताकि वे देश की मिट्टी से जुड़ सकें और यहां की जनता को समझ सकें जिनके लिए उन्हें आगे जाकर काम करना है.

इसी के दूसरे चरण में 15 हफ्ते की ट्रेनिंग लबासना में होती है. दिन की शुरुआत सुबह 6 बजे हो जाती है और पूरे दिन तमाम तरह की क्लास होती हैं. इनमें ई-गर्वनेस, नेशनल सिक्योरिटी, प्रोजेक्ट मैनेजेमेंट, सॉफ्ट स्किल्स, आदि सिखायी जाती हैं. क्लास के बीच में ब्रेक होते हैं जब लंच और स्नैक्स वगैरह ले सकते हैं.

दूसरा चरण – इसमें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनिंग शुरू होती है और बहुत से विषयों पर उसके एक्सपर्ट द्वारा खास सेशन आयोजित किए जाते हैं. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद कैंडिडेट प्रोबेशनर्स डिपार्टमेंट ज्वॉइन करते हैं. इन्हें कुछ समय तक ज्वॉइंट सेक्रेटरीज के अंडर असिस्टेंट सेक्रेटरीज के तौर पर काम करना होता है. इससे ये काम की समझ विकसित करते हैं.

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ऐसे मिलता है पद

शुरुआत सब-कलेक्टर या एसडीएम या ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट पद से होती है फिर एडीएम फिर डीएम. इसके बाद ये इंडियन सेंट्रल गर्वनमेंट में पद पाने से लेकर अधिकतम कैबिनट सेक्रेटरी के पद पर प्रमोशन पा सकते हैं. बेसिक सैलरी 56 हजार से शुरू होती है जो आगे अधिकतम 25 लाख तक जा सकती है. शुरुआत आईएएस पे लेवल 10 से होती है और एंड पे लेवल 18 पर.

चलते-चलते

अंत में आईएएस ट्रेनिंग से जुड़ी जरूरी चीजें जान लेते हैं. केवल यूपीएससी पास करने से ही काम खत्म नहीं होता आगे सफर बहुत लंबा होता है. आईएएस को दो साल लबासना में ट्रेनिंग लेनी होती है. यहां मेंटल, फिजिकल, सोशल, इंटेलेक्चुअल तमाम तरह की परीक्षाएं होती हैं. ट्रेनिंग पीरियड के दौरान 40 हजार रुपये सैलरी तक हाथ में आती है. ये 55 हजार थी, जिसे कम कर दिया गया है, क्योंकि एकेडमी में उनके बहुत खर्च होते हैं. ये सारे खर्च एकेडमी करती है, जिसमें यूनिफॉर्म से लेकर खाना तक सब शामिल होता है.

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