अस्थमा के होते हैं चार चरण, जानें कौन ज्यादा ‘खतरनाक’, खुद को सेफ कैसे रखें?

अस्थमा के होते हैं चार चरण, जानें कौन ज्यादा 'खतरनाक', खुद को सेफ कैसे रखें?


अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है, जो लंबे समय तक चलती है। इसमें सांस की नलिकाओं में सूजन और संकुचन हो जाता है। किसी कारण से सांस फूलने जैसी परेशानी होती है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है. अगर इसके लक्षण समय पर न पकड़ में आएं तो स्थिति गंभीर भी हो सकती है।

इस बीमारी के लक्षणों की वजह से इसके अलग-अलग चरण पर आधार हो सकता है। दुर्भाग्य के चार चरण होते हैं। जानकारी बहुत ही कम लोगों को है.  आइए जानते हैं कि अस्थमा के चार चरण कौन-कौन से होते हैं, जिनमें से कौन ज्यादा गंभीर होता है।

इस बीमारी के लक्षणों की वजह से इसके अलग-अलग चरण पर आधार हो सकता है। दुर्भाग्य के चार चरण होते हैं। जानकारी बहुत ही कम लोगों को है. आइए जानते हैं कि अस्थमा के चार चरण कौन-कौन से होते हैं, जिनमें से कौन ज्यादा गंभीर होता है।

आंतरायिक अस्थमा :अस्थमा का पहला चरण आंतरायिक अस्थमा (आंतरायिक अस्थमा) होता है। इसके लक्षण हफ्ते में दो या उससे भी कम दिन महसूस हो सकते हैं। ऐसे में मनुष्यों को सांस की समस्या होने पर रात में बार-बार जागना नहीं पड़ता। इस चरण में फेफड़ों की क्षमता 80% या उससे अधिक हो सकती है।  इसमें इनहेलर की जरूरत कम होती है.

आंतरायिक अस्थमा :अस्थमा का पहला चरण आंतरायिक अस्थमा (आंतरायिक अस्थमा) होता है। इसके लक्षण हफ्ते में दो या उससे भी कम दिन महसूस हो सकते हैं। ऐसे में सांस की कृपा होने पर रात में बार-बार उठना संभव नहीं है। इस चरण में फेफड़ों की क्षमता 80% या उससे अधिक हो सकती है। इसमें इनहेलर की जरूरत कम होती है.

माइल्ड अस्थमा : दूसरे चरण के अस्थमा (हल्का लगातार अस्थमा) में लक्षण लगातार कम गंभीर बना रहता है। इसमें दुष्टों के हमले या लक्षण दो बार या उससे अधिक दिन देखने को मिल सकते हैं।  उन्हें दो या उससे कम इनहेलर की जरूरत होती है।

माइल्ड अस्थमा : दूसरे चरण के अस्थमा (हल्का लगातार अस्थमा) में लक्षण लगातार कम गंभीर बना रहता है। इसमें दुष्टों के हमले या लक्षण दो बार या उससे अधिक दिन देखने को मिल सकते हैं। उन्हें दो या उससे कम इनहेलर की जरूरत होती है।

मध्यम अस्थमा : इस चरण (मध्यम लगातार अस्थमा) में अस्थमा के लक्षण लगातार महसूस हो सकते हैं। जिसके कारण रात-रात भर जागना पड़ सकता है। नींद में खलल पड़ सकता है. इससे जीवनशैली पूरी तरह प्रभावित होती है। इस चरण में फेफड़ों की क्षमता 60-80% तक हो सकती है।  इसमें दैनिक इनहेलर की आवश्यकता होती है.

मध्यम अस्थमा : इस चरण (मध्यम लगातार अस्थमा) में अस्थमा के लक्षण लगातार महसूस हो सकते हैं। जिसके कारण रात-रात भर जागना पड़ सकता है। नींद में खलल पड़ सकता है. इससे जीवनशैली पूरी तरह प्रभावित होती है। इस चरण में फेफड़ों की क्षमता 60-80% तक हो सकती है। इसमें दैनिक इनहेलर की आवश्यकता होती है.

गंभीर अस्थमा: यह अस्थमा का सबसे गंभीर चरण (गंभीर लगातार अस्थमा) है। इसमें बार-बार दुर्भाग्य का हमला आ सकता है। रात-रात भर खांसी की वजह से नींद खराब हो सकती है। इस चरण में फेफड़ों की क्षमता 60 प्रतिशत या उससे भी कम हो सकती है।  इसमें नियमित तौर पर इनहेलर की जरूरत पड़ती है।

गंभीर अस्थमा: यह अस्थमा का सबसे गंभीर चरण (गंभीर लगातार अस्थमा) है। इसमें बार-बार दुर्भाग्य का हमला आ सकता है। रात-रात भर खांसी की वजह से नींद खराब हो सकती है। इस चरण में फेफड़ों की क्षमता 60 प्रतिशत या उससे भी कम हो सकती है। इसमें नियमित तौर पर इनहेलर की जरूरत पड़ती है।

प्रकाशित समय : 26 मई 2024 01:26 PM (IST)

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