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चंदू के चैंपियन बनने की कहानी कहता ट्रेलर कई मामलों में है खास, कार्तिक आर्यन के लिए गेम चेंजर

चंदू के चैंपियन बनने की कहानी कहता ट्रेलर कई मामलों में है खास, कार्तिक आर्यन के लिए गेम चेंजर


चंदू चैंपियन ट्रेलर समीक्षा: भारत के पहले पैरालंपिक गोल्ड मेडलिस्ट मुरलीकांत पेटकर की जिंदगी पर आधारित फिल्म ‘चंदू चैंपियन’ का ट्रेलर रिलीज हो चुका है. ट्रेलर में फिल्म बनाने में की गई मेहनत की झलक दिख रही है. फिल्म के लीड एक्टर कार्तिक आर्यन का जबरदस्त ट्रांसफॉर्मेशन से लेकर फिल्म की कहानी की अलग-अलग परतें दिखाती हैं कि फिल्म के डायरेक्टर कबीर खान ने इस बार भी कोई कसर नहीं छोड़ी है.

ट्रेलर में कुछ-कुछ ‘पान सिंह तोमर’ जैसी जर्नी दिख रही है, लेकिन जब आप पूरा ट्रेलर देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि असल में दोनों की कहानी भी कई मामलों में एक जैसी ही थी. दोनों ने अपनी-अपनी जगह पर अपनी-अपनी जंग लड़ी थी.

ट्रेलर में दिखा कहानी का सरांश
ट्रेलर को इस तरह से तैयार किया गया है कि रियल लाइफ हीरो की पूरी कहानी का सारांश एक साथ 3 मिनट 15 सेकेंड में ही दिख जाए. वैसे तो मुरलीकांत पेटकर की कहानी आपको कई अलग-अलग जगहों में पढ़ने को मिल जाएगी, क्योंकि ये किसी से छुपी नहीं है.

लेकिन इस फिल्म में उस कहानी को पेश करने का जो तरीका या नैरेशन है वो उसी लेवल का दिख रहा है जो कबीर खान की दूसरी फिल्मों जैसे 83 और सुल्तान जैसी फिल्मों में दिख चुका है. ये इस ट्रेलर की खासियत है कि इसे देखने वाले पूरा ट्रेलर बिना स्किप किए पूरा जरूर देखेंगे.


ट्रेलर में दिखाई गई कहानी क्या है?
ट्रेलर शुरू होता है विजयराज के नैरेशन से, जिसमें वो चंदू की कहानी सुनाते नजर आते. ट्रेलर की शुरुआत होती है उस सीन से जब इंडियन आर्मी का हिस्सा रहे चंदू को जंग के दौरान 9 गोलियां लगती हैं. लेकिन फिर भी चंदू की जीने की चाहत उसे मौत से भी दो-दो हाथ करा देती है.

इसके बाद, चंदू की वो जिंदगी दिखाई जाती है जिसमें उसके बचपन से लेकर इंडियन आर्मी में शामिल होने और जंग में गोलियां खाने से लेकर ओलंपिक तक का सफर तय करने की यात्रा दिखती है. पूरा ट्रेलर चंदू की कहानी को परत दर परत दिखाता है, लेकिन ट्विस्ट और टर्न्स के साथ. इस वजह से ट्रेलर खत्म होते-होते चंदू के बजाय सिर्फ चैंपियन दिखने लगता है.

ट्रेलर में की गई मेहनत दिखती है इन चीजों से
ट्रेलर में चंदू बने कार्तिक आर्यन सच में चैंपियन जैसी बॉडी लैंग्वेज कैरी करते हैं. साथ में उनका ट्रांसफॉर्मेशन ट्रेलर लॉन्च के पहले रिलीज किए गए पोस्टर में दिख ही गया था. इसके पहले उन्होंने जो भी रोल किए वो चॉलेलेटी बॉय वाले थे.

इसलिए, ऐसे रूप में कार्तिक का दिखना दिखाता है कि उन्होंने खुद को तैयार करने के लिए क्या-क्या त्याग किए होंगे. उन्होंने ये बताया था कि इस रोल के लिए उन्होंने मशीन की तरह काम किया है. इसके अलावा, कार्तिक की जवानी से लेकर बुढ़ापे तक का सफर भी बड़ी बारीकी से उकेरा गया है.

इसके अलावा, ट्रेलर में चंदू की जिंदगी को किताब की तरह दिखाया गया है, जिसमें प्रॉपर इंट्रो से लेकर उसका क्लाइमैक्स सब कुछ इस तरह से तय किया गया है कि उस किताब का हर पन्ना इंट्रेस्टिंग होता चला जाता है.

फिल्म का ये डायलॉग पूरी बात कह जाता है, ”भगवान से मेरा जो भी लेनदेन था मुझे ऐसा मारना उसके प्लान में ही नहीं था. वो दिन मैं तय किया मैं जिएगा और उसके लिए जितना लड़ना पड़े मैं लड़ेगा. हर चिढ़ाती हुई हंसी को पलट के बोलेगा ..ए हंसता काए को है”.

कबीर खान की मेहनत भी दिखी है
कबीर खान ने सुल्तान, काबुल एक्सप्रेस, एक था टाइगर, न्यूयॉर्क, बजरंगी भाईजान जैसी बड़ी हिट और अच्छी फिल्में दी हैं. ट्रेलर देखकर लग रहा है कि एक अरसे बाद कबीर खान फिर से एक बड़ी हिट देने जा रहे हैं. फिल्म रियल लाइफ पर बेस्ड है. इसलिए, इतिहास को भी दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई.

ट्रेलर में 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के साथ उस समय के भारत के हालातों के बारे में भी बताया गया है. वॉइस ओवर में सुनाई देता है, ”मुरलीकांत पेटकर की कहानी आजाद हिंदुस्तान की कहानी है. हालात ऐसे थे कि देश टिक भी पाएगा या नहीं? पर हिंदुस्तान लड़ता है हर हालात से”. ये डायलॉग तब के हिंदुस्तान और चंदू की कहानी को कंपेयर करते हुए सुनाता है.

इस डायलॉग का सार है जैसे हिंदुस्तान टिका और आज का भारत बना वैसे ही चंदू टिका और वो चैंपियन बना. फिल्म में तब के हालात के बारे में जो बताया गया है उसे हम एक छोटे से उदाहरण से समझते हैं- 1964 में भारत के पास खाने के लिए गेहूं की कमी होती थी, जिसे पूरा करने के लिए अमेरिका ने घोषणा की थी कि वो हर साल 6 लाख टन गेहूं देगा.

लेकिन इसके एक साल बाद ही भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद अमेरिका भारत में दबाव बनाने लगता है. जिसे देश मानने से इनकार कर देता है और नतीजा ये होता है कि अमेरिका गेहूं देने से मना कर देता है. ऐसे में देश झुकता नहीं है और साल 1968 में हरित क्रांति आने के बाद देश में हर साल गेहूं की उपज बढ़ाने में कामयाब होता है और आज इतना कामयाब है कि आज भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है गेहूं उत्पादन में.

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कबीर खान और कार्तिक दोनों के लिए क्यों खास है फिल्म?
कबीर खान की पिछली दो बड़ी फिल्में जिनसे उम्मीदें होने के बावजूद फ्लॉप रहीं वो हैं 2017 में आई ‘ट्यूबलाइट’ और 2021 में ’83’. ऐसे में कबीर खान बेशक एक बेहतरीन डायरेक्टर हैं, लेकिन उन्हें भी जरूरत है एक बड़ी हिट की. और उनकी इस जरूरत को पूरा करने का काम चंदू चैंपियन कर सकती है.

हालांकि, कार्तिक आर्यन के लिए दौर बुरा नहीं हैं. उनकी पिछली फिल्में ‘भूल भुलैया 2’ और ‘सत्य प्रेम की कथा’ पसंद की गई थीं. उनकी इसके पहले आई फिल्मों ने भी अच्छा कलेक्शन किया है. लेकिन जैसा कि हर एक्टर का सपना होता है कि वो कुछ नया करे. कार्तिक के उस नया करने के सपने को पूरा करने का काम ये फिल्म कर सकती है.

कौन हैं मुरलीकांत पेटकर जिनकी लाइफ पर बनाई गई है फिल्म?
मुरलीकांत भारत के पहले पैरालंपिक गोल्ड मेडलिस्ट हैं, जिन्होंने 50 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमंग में 1972 में भारत के लिए मेडल जीता था. इसके अलावा, उन्होंने जैवलिन थ्रो जैसे दूसरे गेम्स में भी पार्टिसिपेट किया था.

ट्रेलर को मिल रहे सोशल मीडिया पर पॉजिटिव रिव्यू
ट्रेलर लॉन्च होते ही सोशल मीडिया पर पॉजिटिव रिव्यू मिलने लगे हैं. एक यूजर ने लिखा ये फिल्म गेम चेंजर होने वाली है कार्तिक के लिए. तो वहीं दूसरे ने लिखा- मेहनत रंग लाई अब बस 14 जून का वेट रहेगा. एक यूजर ने लिखा, ”वाह. सुपर कड़क ट्रेलर है.” अब से ही सोशल मीडिया पर मिल रहे ऐसे रिस्पॉन्स से पता चल रहा है कि सच में ये फिल्म गेम चेंजर हो सकती है.

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