MSP – Trending News Today India https://news.softspace.in Wed, 19 Jun 2024 17:52:24 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.4 https://i0.wp.com/news.softspace.in/wp-content/uploads/2023/08/cropped-cropped-news-high-resolution-logo-color-on-transparent-background.png?fit=32%2C32&ssl=1 MSP – Trending News Today India https://news.softspace.in 32 32 223874503 किसानों के लिए गुड न्यूज, इन फसलों पर बढ़ी बंपर MSP, मोदी 3.0 की सरकार का बड़ा तोहफा https://news.softspace.in/good-news-for-farmers-bumper-increase-in-msp-on-these-crops/ https://news.softspace.in/good-news-for-farmers-bumper-increase-in-msp-on-these-crops/#respond Wed, 19 Jun 2024 16:20:38 +0000 https://news.softspace.in/%e0%a4%95%e0%a4%bf%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b2%e0%a4%bf%e0%a4%8f-%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%a1-%e0%a4%a8%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%82%e0%a4%9c-%e0%a4%87/

केंद्र सरकार ने खरीफ की 14 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी दे दी है. इस फैसले से किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिलेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी. MSP में धान की कीमत में 117 रुपये प्रति क्विंटल, मूंग की कीमत में 124 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है. MSP में वृद्धि से किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिलेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी.

कपास के लिए एमएसपी 7121 रुपये निर्धारित किया गया है, जिसमें 501 रुपये की वृद्धि हुई है. रागी, मक्का, मूंग, तूर, उड़द और मूंगफली के तेल के लिए भी एमएसपी बढ़ाए गए हैं. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि दो लाख नए गोडाउन बनाए जा रहे हैं. सरकार किसानों पर ध्यान केंद्रित कर रही है और अर्थव्यवस्था के विकास के लिए काम कर रही है.

केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल में किसान कल्याण को प्राथमिकता दी जाएगी. उन्होंने कहा कि खरीफ सीजन में किसानों के लिए 14 फसलों के एमएसपी को कैबिनेट ने स्वीकृति दे दी है, जो लागत मूल्य से कम से कम 1.5 गुना अधिक होने चाहिए.

इनमें हुई बढ़ोतरी 

सरकार ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की है. ज्वार, धान, बाजरा, रागी, मक्का, तूर, मूंग, उड़द, मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन और तिल के एमएसपी में वृद्धि की गई है. अब ज्वार का एमएसपी 3371 रुपये, धान का 2300 रुपये, बाजरा का 3625 रुपये, रागी का 4290 रुपये, मक्का का 2225 रुपये, तूर 7550 रुपये, मूंग 8682 रुपये, उड़द 7400 रुपये, मूंगफली 6783 रुपये, सूरजमुखी 7280 रुपये, सोयाबीन 4892 रुपये और तिल 9267 रुपये हो गया है.

पीएम बनते ही किसानों के लिए कार्य 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी पर पीएम पद कि शपथ लेने के बाद सबसे किसान सम्मान निधि जारी करने से जुड़ी फाइल पर हस्ताक्षर किए थे. जिसके बाद 18 जून कू पीएम ने यूपी के वाराणसी से पीएम किसान योजना की 17वीं किस्त जारी की थी.

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Rubber Farming: रबर की खेती करने वाले किसानों को फायदा, इस राज्य सरकार ने MSP पर बढ़ाए इतने रुपये https://news.softspace.in/rubber-farming-this-state-government-increased-the-msp-by-so-many-rupees-to-benefit-the-farmers-who-cultivate-rubber/ https://news.softspace.in/rubber-farming-this-state-government-increased-the-msp-by-so-many-rupees-to-benefit-the-farmers-who-cultivate-rubber/#respond Sun, 17 Mar 2024 13:09:28 +0000 https://news.softspace.in/rubber-farming-%e0%a4%b0%e0%a4%ac%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%96%e0%a5%87%e0%a4%a4%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a4%bf/

Rubber Farming: हाल ही में रबर की खेती करने वाले किसानों को एक बड़ी खुशखबरी मिली है. रबर बोर्ड ने रबर के एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए निर्माताओं को प्रोत्साहन देते हुए ₹5 बढ़ा दिए हैं. रबर बोर्ड के इस फैसले के बाद केरल सरकार ने भी रबड़ के समर्थन मूल्य पर ₹10 की बढ़ोतरी कर दी है. जिससे प्रदेश के लगभग एक लाख किसानों को सीधा फायदा होगा. चलिए जानते हैं पूरी खबर. 

रबर की MSP में हुई बढ़ोत्तरी 

रबर उत्पादन प्रोत्साहन योजना (RPIIS) के तहत रबर की मूल कीमत को 170 रुपये से 180 रुपये करने का ऐलान किया गया है. केरल के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने बजट पेश करते हुए इस बारे में सूचना दी. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस योजना का लक्ष्य रबर किसानों को बाजार में जो वास्तविक मूल्य है उस पर और 180 रुपये की गारंटीड रेट के बीच का अंतर रखना है. रबर उगाने वाले किसान रबर उत्पादन समितियों से बिल जमा करने के बाद पैसों की मांग कर सकते हैं. यह बिल बाद में सरकार की वेबसाइट पर रबर बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा अपलोड भी किये जाएंगे. 

डेढ़ लाख से ज्यादा किसानों को होगा फायदा

राज्य सरकार ने RPIIS के तहत बकाया चुकाने के लिए भी 24.48 करोड़ रुपये दिए हैं. सरकार के इस फैसले से करीब डेढ़ लाख छोटे और सीमांत रबर किसानों को फायदा पहुंचेगा. लोकसभा चुनाव करीब आने के साथ ही रबर बागान चर्चा का विषय बन गया है. खास तौर पर मध्य त्रावणकोर में.

यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट और  लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट दोनों ही पार्टियों ने अपने चुनाव अभियान को रबर के मुद्दे के आसपास ही केंद्रित किया है. इसके बाद अब एनडीए एलाइंस भी अपने चुनाव अभियानों में रबड़ की खेती करने वाले किसने की ओर ध्यान दे रहा है. इसी बीच एनडीए के सहयोगी दल बीडीजेएस ने केंद्र सरकार से रबड़ की एसपी को ढाई सौ रुपए करने तक का अनुरोध किया है. 

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क्या सही में दी जा सकती है MSP की लीगल गारंटी? अगर ऐसा हुआ तो इकोनॉमी पर पड़ेगा ये असर https://news.softspace.in/can-msp-really-be-given-a-legal-guarantee-if-this-happens-what-impact-will-it-have-on-the-economy/ https://news.softspace.in/can-msp-really-be-given-a-legal-guarantee-if-this-happens-what-impact-will-it-have-on-the-economy/#respond Wed, 14 Feb 2024 08:39:09 +0000 https://news.softspace.in/%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a4%b9%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%a6%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a4%95%e0%a4%a4%e0%a5%80-%e0%a4%b9%e0%a5%88-msp-%e0%a4%95/

<p style="text-align: justify;">बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की तरफ लगातार कूच कर रहे हैं. इस बार उनकी मांगों में एमएसपी बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है. हालांकि रिपोर्ट्स की मानें तो सरकारी सूत्रों ने एमएसपी पर सभी फसलों की खरीद के लिए कानूनी गारंटी प्रदान करने से वित्तीय आपदा हो सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;">हाल ही में कांग्रेस ने केंद्र में सरकार बनने पर किसानों के लिए एमएसपी की लीगल गारंटी दिए जाने का वादा किया है. हालांकि जानकारों का कहना है कि किसानों को एमएसपी की लीगल गारंटी देने से देश की आर्थिक सेहत चौपट हो सकती है. यह सहायता राशि इतनी बड़ी हो सकती है कि देश के बाकी विकास कार्यो के लिए कुछ बचे ही न. इससे आर्थिक विकास की गाड़ी पटरी से उतर जाएगी और भारत का दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनने का सपना भी टूट जाएगा.</p>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट्स के अनुसार अधिकारियों का कहना है कि कृषि कानून में गारंटी देना व्यावहारिक नहीं है. उनका तर्क है कि वित्त वर्ष 2020 में देश के कृषि उत्पादों की कीमत 40 लाख करोड़ रुपये थी. जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना के तहत आने वाली 24 फसलों का बाजार मूल्य केवल 10 लाख करोड़ रुपये था. यदि सरकार को इन सारी फसलों को खरीदना पड़े, तो उसे अपने कुल खर्च (2023-24 के लिए 45 लाख करोड़ रुपये) में से इतना पैसा खर्च करना होगा कि विकास और सामाजिक कल्याण के लिए बहुत कम पैसा बच पाएगा.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ा</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट्स के अनुसार अधिकारियों ने कहा है कि अगले वित्त वर्ष में सरकार बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाकर 11,11,111 करोड़ रुपये करने जा रही है. खास तौर पर सड़क और रेलवे के लिए. ये पिछले सात सालों के औसत बुनियादी ढांचा खर्च से काफी ज्यादा है.</p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि, रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अधिकारी सरकार को किसानों से बातचीत करने से नहीं रोक रहे हैं. लेकिन किसान संगठन बातचीत में हिस्सा लें. कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता वाली समिति में किसान प्रतिनिधियों की गैरमौजूदगी की तरफ इशारा किया. उन्होंने किसानों से अपील की है कि एमएसपी प्रणाली को मजबूत बनाने वाले पैनल का हिस्सा बनें या किसी नई समिति में शामिल हों.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें- <a title="सरसों की खरीद को लेकर हरियाणा सरकार ने लिया बड़ा फैसला, अब इतने रुपये में बिकेगी" href="https://www.abplive.com/agriculture/haryana-government-take-decision-in-farmers-favour-mustard-msp-2611032" target="_blank" rel="noopener">सरसों की खरीद को लेकर हरियाणा सरकार ने लिया बड़ा फैसला, अब इतने रुपये में बिकेगी</a></strong></p>



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किसानों की बल्ले-बल्ले! सरकार ने MSP में कर दी ₹?? की धाकड़ बढ़ोतरी! https://news.softspace.in/suddenly-the-government-increased-the-msp-of-farmers-by-rs/ https://news.softspace.in/suddenly-the-government-increased-the-msp-of-farmers-by-rs/#respond Thu, 28 Dec 2023 03:26:37 +0000 https://news.softspace.in/%e0%a4%95%e0%a4%bf%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%ac%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a4%b0/

कैबिनेट बैठक में कोपरा के लिए नई एमएसपी हाल ही में हुई परमाणु ऊर्जा निगम की बैठक में सरकार ने करोड़ों किसानों को करोड़ों का ऑफर दिया है। सरकार ने 2024 सीज़न के लिए खोपरे (कोपरा) की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की घोषणा की है। यह निर्णय नारियल की कीमत वाले किसानों के लिए काफी मूल्यवान साबित होगा। आइए इस लेख में जानें कि खोपरे के आउटलेट में कितनी कीमतें हैं और इससे किसानों को क्या फायदा होगा। यह एक काफी विस्तृत लेख है जिसमें आपको पूरी जानकारी मिलेगी, मूल रूप से आप इस लेख को अंत तक ध्यान दें पढ़ें |

खोपेरे के जंक्शन में कितनी बढ़ोतरी हुई?

सरकार ने मिलिंग कोपरा के प्लांट 10,860 रुपये प्रति साधारण से लेकर 11,600 रुपये प्रति औंस तक है। वहीं, बाल कोपरा की दुकानों पर 10,600 रुपये प्रति कंपनी से लेकर 12,000 रुपये प्रति कंपनी तक की छूट दी गई है। इसका मतलब यह है कि मिलिंग कोपरा के आउटलेट में 300 रुपये प्रति व्यक्ति और कोपरा के ब्रांड में 250 रुपये प्रति व्यक्ति की साझेदारी हुई है | इसी प्रकार से सरकार ने समय-समय पर किसानों के हित के लिए बहुत सारी सरकारी योजनाओं की शुरुआत की है। अच्छा काम कर रही है |

कैबिनेट बैठक से किसानों को मिला चारा: कैबिनेट बैठक में कोपरा के लिए नई एमएसपी

स्कॉच का नाम कैबिनेट बैठक में कोपरा के लिए नई एमएसपी
लॉन्च किया गया कैबिनेट बैठक, 27 दिसंबर, 2023
लागू होने की तारीख 2024 सीज़न से
लाभार्थी नारियल की खेती करने वाले किसान {नारियल की खेती करने वाले किसान}
लाभ मिलिंग कोपरा के प्लांट में ₹300 से लेकर 11,600 रुपए प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी (10,860 रुपए से लेकर 11,600 रुपए प्रति लीटर तक) बाल कोपरा के प्लांट में ₹250 से लेकर ₹250 प्रति यूनिट तक की बढ़ोतरी (10,600 रुपए से लेकर 12,000 रुपए प्रति लीटर तक) बेहतर आय खोपरे की खेती को बढ़ावा खाद्य सुरक्षा व्यवसाय
आधिकारिक वेबसाइट कृषि मंत्रालय की वेबसाइट: http://agricoop.nic.in/

किसानों को कितना फायदा होगा?

खोपरे की खेती से किसानों को कई तरह का फायदा होगा। सबसे पहले, उनकी आय में वृद्धि होगी। जिस सरकारी खोपरा की दुकान पर न्यूनतम मूल्य है। इसका मतलब यह है कि किसान अपनी फसल को बाजार में कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर नहीं करेगा। दूसरा, खेती से खोपरे की खेती को बढ़ावा मिलेगा। किसानों को अब खोपरे का उत्पादन बढ़ाने के लिए अनुमति दी जाएगी, जिससे देश में खोपरे का उत्पादन बढ़ेगा। और तीसरा हिस्सा, फसल उगाने से लेकर खाद्य सुरक्षा को जगह मिलेगी। खोपारा एक महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है, जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है। एसोसिएटेड से खोपरे की फैक्ट्री स्थिर बढ़ रही है और आम आदमी को सस्ती खोपरा मिल मिल रही है।

कूपरा नई एमएसपी

खोपरे की दुकान क्या है?

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से उनके फ़ेल शेयर की संस्था रखती है। इसका उद्देश्य किसानों को उनकी फसल का मूल्य निर्धारित करना और उनकी आय को स्थिर करना है। सरकार हर साल 23 जून को इंजीनियरों की घोषणा करती है, जिसमें खोपरा भी शामिल है।

खोपेरे के लिए पासपोर्ट तय करने की क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है?

कैबिनेट बैठक में कोपरा के लिए नई एमएसपी पर सरकारी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की योजना पर विचार किया गया। सीएसीपी एक स्वामित्व संस्था है जो कृषि लागत और कृषि से संबंधित मामलों को सरकार को सलाह देती है। सीएसीपी उत्पादन लागत, फसल की मांग और आपूर्ति, बाजार के रुझान आदि पर ध्यान दिया जाता है। सरकार का यह निर्णय किसानों के लिए एक सकारात्मक कदम है। इससे खोपरे की खेती को बढ़ावा मिलेगा, किसानों की आय में वृद्धि होगी और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

मुख्य बिंदु:

  • सरकार ने 2024 सीज़न के लिए खोपरे की खेती शुरू कर दी है।
  • मिलिंग कोपरा के प्लांट में 300 रुपये प्रति कंपनी और बाल कोपरा के प्लांट में 250 रुपये प्रति यूनिट की बिक्री हुई है।
  • इससे लाखों किसानों को फायदा होगा, उनके आय अनुपात और खोपरे की खेती को बढ़ावा मिलेगा।
  • व्यावसायिक खेती से खाद्य सुरक्षा को भी भौगोलिक स्थान।

कैबिनेट मीटिंग नई एमएसपी

खोपरे की खेती से जुड़ी कुछ बातें:

हालाँकि खेती से खोपरे की खेती को बढ़ावा मिल रहा है, लेकिन इसमें अभी भी कुछ स्थापित बनी हुई हैं। इनमें से कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • शैली में कमी: भारत में खोपरे की औसत रेटिंग अन्य प्रमुख उत्पादकों की तुलना में काफी कम है। सरकार को किसानों को बेहतर बीज, ग्रेड और सिलेक्शन उपलब्ध कराने वाली नौकरियां बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
  • बैग की कमी: भारत में खोपेरे की कंपनी की क्षमता बहुत अधिक है। इसका मतलब यह है कि किसानों को अपनी फसल का एक बड़ा हिस्सा बिना कंपनी के ही बिजनेस में मिलता है, जिससे उन्हें कम कीमत मिलती है। सरकार को खोपेरे के सरकारी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाना चाहिए।
  • भंडार की कमी: भारत में खोपरे के भंडारों की दुकानें भी हैं। इसका मतलब यह है कि फसल की कटाई के बाद बड़ी मात्रा में खोपरा खराब हो जाता है। सरकार को किसानों को बेहतर भण्डारण-सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाना चाहिए।
  • मध्यस्थों की भूमिका: खोपरे की मार्केटिंग में बिचौलिए की भूमिका काफी बड़ी है। ये बिचौलिए किसानों से कम दाम पर खोपरा की शर्ते हैं और फिर इसे ज्यादा दाम पर बेचने की शर्तें हैं। सरकार को किसानों को बिचौलियों से उबरने के लिए कदम उठाना चाहिए।

सरकार को इन घोषणाओं का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए, ताकि जनसंख्या का पूरा लाभ किसानों को मिल सके। इससे न केवल किसानों की आय में कमी आती है, बल्कि देश में खोपरे का उत्पादन भी बढ़ता है।

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कृषकों के लिए खुशखबरी : सरकार ने शुरू की “कृषक उन्नति योजना”, धान की खरीद पर मिलेगा MSP से ज्यादा दाम https://news.softspace.in/good-news-for-farmers-government-has-started-krishak-unnati-yojana/ https://news.softspace.in/good-news-for-farmers-government-has-started-krishak-unnati-yojana/#respond Fri, 22 Dec 2023 11:10:14 +0000 https://news.softspace.in/%e0%a4%95%e0%a5%83%e0%a4%b7%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b2%e0%a4%bf%e0%a4%8f-%e0%a4%96%e0%a5%81%e0%a4%b6%e0%a4%96%e0%a4%ac%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a4%b0%e0%a4%95/

किसानों के लिए सरकार ने एक बड़ी राहत की घोषणा की है। सरकार ने एक नई योजना शुरू की है जिसका नाम है “कृषक विकास योजना”। इस योजना के तहत सरकार किसानों से धान की खरीद 3,100 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी अधिक कीमत की पेशकश करती है।

सरकार ने एक नई योजना के तहत हर पंचायत भवन में आरक्षण के लिए काउंटर भी स्थापित करने की योजना बनाई है। इससे किसानों को अपना पैसा निकालने के लिए लंबी कार्यशाला में लीज की जरूरत नहीं पड़ती। साथ ही, सरकार धान के शेयरों से पहले ही पर्याप्त मात्रा में बारदाने (भंडारण के लिए बोरी) उपलब्ध कराएगी, ताकि किसानों को अपने अनाज की उपज में कोई दिक्कत न हो।

कृषक उन्नत योजना के बारे में और जानें

योजना के प्रमुख लाभ:

  • धान की खरीद पर एमएसपी से अधिकतम मूल्य की प्राप्ति
  • संस्थानों के अर्थशास्त्र काउंटर से आसानी से पैसा प्राप्त करें
  • धान भंडार के लिए पर्याप्त मात्रा में बारदानें की वीकी

किसान किसानों ने इस योजना का स्वागत किया है और कहा है कि इससे किसानों के आय में सुधार होगा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। हालाँकि, कुछ स्टार्टअप्स का कहना है कि इस योजना को सफल बनाने के लिए सरकार को कई नए दावों का सामना करना पड़ेगा, जैसे कि बाजार में धान की मार्केट में उद्घाटित- कोटा और बारादाने की कालाबाजारी।

यह देखने से पता चलेगा कि सरकार की इन योजनाओं को किस तरह से सफल बनाया गया है और किसानों के जीवन में खुशहाली ला दी गई है।

किसान उत्थान योजना निश्चित रूप से किसानों के लिए एक बड़ी राहत है और इससे उनकी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। हालाँकि, इस योजना की सफलता सरकार के लिए यह ज़रूरी है कि इसे कैसे लागू किया जाए और कैसे रोका जाए।



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Minimum Support Price न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2023 : नई सूची? https://news.softspace.in/minimum-support-price-minimum-support-price-msp-2023-new-list/ https://news.softspace.in/minimum-support-price-minimum-support-price-msp-2023-new-list/#respond Fri, 20 Oct 2023 05:35:00 +0000 https://news.softspace.in/minimum-support-price-%e0%a4%a8%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%82%e0%a4%a8%e0%a4%a4%e0%a4%ae-%e0%a4%b8%e0%a4%ae%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a5%e0%a4%a8-%e0%a4%ae%e0%a5%82%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%af-msp-2023/

न्यूनतम समर्थन मूल्य 2023-24, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) :- सरकार द्वारा किसानों के विकास पर नियंत्रण का प्रयास किया जा रहा है। जिसके लिए सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित करती है। भारत सरकार द्वारा फसल खरीद पर न्यूनतम मूल्य का भुगतान किया जाता है। इस कीमत को न्यूनतम समर्थन मूल्य कहा जाता है।

इस लेख के माध्यम से आज आप को न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी जाएगी। आप इस लेख को आकर्षक जान की तरह लिख सकते हैं एमएसपी 2023-24 क्या होता है. इसके अलावा आपको इसका उद्देश्य, लाभ, विशेषताएँ, सूची, पात्रता, आदि से संबंधित जानकारी भी दी जाएगी। तो यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य की पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आपसे अनुरोध है कि आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

न्यूनतम समर्थन मूल्य 2023-24

किसी भी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य न्यूनतम होता है। जिसे सरकार किसानों को प्रदान करती है। इस कीमत से कम कीमत पर सरकार द्वारा फसल को नहीं खरीदा जा सकता है। सरकार द्वारा न्यूनतम मूल्य पर फसल की खरीद की सुविधा दी जाती है। केंद्र सरकार द्वारा वर्तमान में 23 भूकंप का न्यूनतम मानक मूल्य 2023-24 का भुगतान किया जाता है। जिसमें 7 अनाज, 5 दाले, 7 तिलहन, एवं 4 व्यावसायिक फसल शामिल है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य किसान एवं प्रशिक्षण के लिए एक स्केटिंग मूल्य सुनिश्चित करना। कृषि मूल्य और आयोग की योजना के आधार पर सरकार द्वारा हर साल कृषि लागत, तिलहन और वाणिज्यिक व्यवसाय जैसे कृषि उद्योग के लिए संबंधित राज्य कृषि और केंद्र विभाग द्वारा विचार करने के बाद घोषणा की जाती है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य की मुख्य बातें

🌾योजना का नाम न्यूनतम समर्थित मूल्य
🚀 कार्य आरंभ की केंद्र सरकार
👨‍🌾 अतिथि देश के किसान
🎯उद्देश्य किसानों को फसल का सही दाम प्रदान करना
🌐आधिकारिक वेबसाइट किसान.gov.in
📅वर्ष 2023-24

युनटम समर्थन मूल्य में वृद्धि हुई

जैसे कि आप सभी लोग सरकार को जानते हैं न्यूनतम मूल्य किसानों के फसल की खरीद की जाती है। ताकि किसी भी किसान की फसल खराब ना हो। सरकार के प्रतीक द्वारा फ़सल के लिए एक मूल्य निर्धारित किया गया है। जिससे नीचे उस फसल की खरीद नहीं की जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी रवि द्वारा सीजन 2023-24 के अंतर्गत रवि फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य वृद्धि का निर्णय लिया गया है। जिससे कि किसानों को अधिक आय की प्राप्ति हो सके। यह ऑर्डर ई-कॉमर्स के विधीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। मसूर, चना, जो और तिलहन, दालहन और अनाज के पक्ष में न्यूनतम मानक मूल्य 2023-24 तय किया गया है.

25 प्रमुख कृषि उद्यमों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्रस्तुत किया गया है

एमएसपी 2023-24 रेंज के माध्यम से, किसानों के लिए क्रिस्ट की कीमत पर किसान की तरह कुछ का आगमन होता है। इसके अलावा, किसानों को अपनी फ़सल गैर-सरकारी वेबसाइट को किराए पर देने की अनुमति दी जाती है, अगर वे सब्ज़ी उत्पादों के लिए सकारात्मक बिक्री या बिक्री पर एक बेहतर लागत रखते हैं। यह योजना 1966 में हुई थी शुरुआत था। 25 महत्वपूर्ण ग्रामीण उपजी के लिए डिप्टी डेमोक्रेटिक अथॉरिटी द्वारा सूचित किया जाता है। जिसमें 14 फसल और रबी सीजन के लिए 7 उपजी याद की जाती है। इस योजना के माध्यम से 2020-21 में 2.04 करोड़ पशुपालकों की मदद की गई है। यह योजना पूरी तरह से किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत पर बेचने के इरादे से शुरू की गई थी। इस योजना के माध्यम से, देश भर के पालक सक्षम और उपयोगी और उनकी जीवन शैली भी इसी तरह आगे बढ़ते हैं।

यूनतम समर्थन मूल्य का मुख्य उद्देश

कम से कम सहायता लागत पूरी तरह से किसानों को उनकी उपज के लिए सही लागत के इरादे से शुरू की गई है। लगभग 25 फ़सल के लिए सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा एक आधार लागत तय की जाती है। उसकी लागत नीचे दी गई है, न कि क्रम में। यह योजना किसानों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य पर बेचने के लिए मजबूर कर देती है। इसके अलावा इस योजना के माध्यम से पशुपालक भी सक्षम और स्वतंत्र हो जायेंगे। न्यूनतम मानक मूल्य 2023-24 योजना में पशुपालकों के जीवन के तरीके पर काम करने का चित्र दर्शाया गया है। इसके अलावा खरीद के पास उचित मूल्य पर फसल भी है। ग्रामीण लागत और लागत पर आयोग के अनाज पर ध्यान दिया गया यह लागत लोक प्राधिकरण द्वारा लगातार घोषित की गई है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य के अंतर्गत आने वाली फसलें

  1. धन
  2. अन्य
  3. मक्का
  4. बाजरा
  5. जवार
  6. रागी
  7. जौ
  1. चना
  2. अरहर
  3. उदा
  4. मोंग
  5. मसूर
  1. राजसीड-सरसोन
  2. मूंह
  3. सोयाबीन
  4. सूरज
  5. तिल
  6. कुसुम
  7. नाइजरसीड
  • व्यवसायिक लाभ
  1. के.पी
  2. उदाहरण
  3. खोओपारा
  4. कच्चा जूट

न्यूनतम समर्थन मूल्य (mSP) 2023 काला तथा विशेषताएँ

  • न्यूनतम समर्थित मूल्य किसी भी फसल के लिए न्यूनतम मूल्य होता है जो सरकार किसानों को प्रदान करती है।
  • इस कीमत से कम कीमत पर सरकार द्वारा फसल को नहीं खरीदा जा सकता।
  • सरकार द्वारा न्यूनतम मूल्य फ़सल की खरीद की जाती है। केंद्र सरकार द्वारा वर्तमान में 23 न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान किया जाता है।
  • जिसमें 7 अनाज, 5 दाले, 7 तिलहन और 4 व्यावसायिक फसल शामिल है।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य वाले किसानों और शेयरधारकों के लिए एक बेल्जियम मूल्य की गारंटी है।
  • कृषि लागत और मूल्य आयोग की योजना के आधार पर सरकार द्वारा हर साल अनाज, दलहन, तिलहन और वाणिज्यिक व्यापारियों जैसे कृषि उद्योगों के लिए संबंधित राज्य कृषि और केंद्रीय गठबंधन द्वारा विचार करने की घोषणा की जाती है।
  • किसानों के लिए उत्पाद लागत पर कम से कम 50% का लाभ सुनिश्चित किया जाता है।
  • इसके अलावा अगर किसानों के पास अपने कृषि संयंत्रों के लिए निजी भूखंड या प्लांट से बेहतर कीमत है तो वह गैर-सरकारी संगठनों को अपने कृषि संयंत्रों के लिए स्वतंत्र है।
  • एमएसपी की शुरुआत 1966 में की गई थी।
  • विभिन्न सरकार द्वारा 25 प्रमुख कृषि उद्यमों के लिए बिक्री की घोषणा की गई है।
  • जिसमें डीजल सीजन में 14 फ़सलें और रबी सीज़न में 7 फ़सलें शामिल होती हैं।
  • 2020-21 में इस योजना के माध्यम से 2.04 करोड़ किसान लाभवंती हुए हैं।
  • यह योजना किसानों को उनके फसल का सही दाम दिलवाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
  • एमएसपी 2023-24 के माध्यम से अनारक्षित के किसान किसान एवं आत्मनिर्भर वास्तविक एवं उनके जीवन स्तर में भी सुधार आये।

रबी सीजन 2023-24 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य

🌾फ़ैसला 🌾 आरएमएस 2021-22 के लिए एमएसपी 🌾 आरएमएस 2023-24 के लिए एमएसपी
अन्य 1975 2015
चना 5100 5230
मसूर की दाल 5100 5500
कैनोला और सरसो 4650 5050

न्यूनतम समर्थन मूल्य लॉगिन करने की प्रक्रिया

समर्थन न्यूनतम मूल्य लॉगिन प्रक्रिया
  • इसके बाद आधिकारिक वेबसाइट पर लॉगिन विकल्प पर क्लिक करें.
  • अब आपके सामने एक नया लॉगइनपेज फ़्रैंच आना।
  • अब राज्य सांख्यिकी अधिकारी अपना स्टेटसमित्र लॉगिन करके लॉग इन करें पर क्लिक करें।

सारांश (सारांश)

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न्यूनतम समर्थन मूल्य 2023-24 (एफएक्यू)?

✅ 2023 का समर्थन मूल्य क्या है?

धान की सामान्य व्यवसायिक फसलफल वर्ष 2023 पिछले साल के लिए 1,940 रुपये से लेकर 2,040 रुपये प्रति तक की छूट दी गई है। धान की ‘ए’ ग्रेड एक्ट्रेस का सपोर्ट प्राइस 1,960 रुपये से लेकर 2,060 रुपये प्रति यूनिट तक है। धान के बागानों की प्रमुख फसलें, चावल के बागान शुरू हो गए हैं।

✅ एमएसपी स्कीम पर क्या दिया जाता है?

केंद्र सरकार द्वारा वर्तमान में 23 न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान किया जाता है। एमएसपी 2023-24 जिसमें 7 अनाज, 5 दाले, 7 तिलहन एवं 4 व्यावसायिक फसल शामिल है।

✅न्यूनतम मानक मूल्य का क्या मतलब है?

किसी भी कृषि उपज (जैसे गेहूं, धान आदि) का न्यूनतम समर्थन मूल्य वह मूल्य है जिससे कम कीमत वाले किसान से सीधे तौर पर वह उपजी नहीं जा सकता है।

✅ एमएसपी कौन तय करती है?

प्लांट कौन सा तय करता है? न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्णय सरकार की ओर से कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सलाह पर साल में दो बार रबी और देश के मौसम में बदलाव किया जाता है। फ़्रांस का समर्थन मूल्य एक्सचेंज आयोग तय करता है।

✅सरकारी खरीद क्या है?

किसी भी राज्य में, निर्धारित खरीद अवधि के अंदर और भारत सरकार द्वारा निर्धारित सामिषों के एसोसिएट्स किसानों द्वारा शामिल किया जा सकता है, जो कि सेंट्रल ग्रुप द्वारा उपयुक्त अधीशेष उपजी सरकारी योजनाओं के लिए निर्धारित किया जाता है।



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जानिए किस फसल पर कितना MSP बढ़ा, यहां समझिए अब किसानों को कितना होगा फायदा https://news.softspace.in/know-how-much-msp-has-increased-on-which-crop-understand-here-how-much-benefit-the-farmers-will-get/ https://news.softspace.in/know-how-much-msp-has-increased-on-which-crop-understand-here-how-much-benefit-the-farmers-will-get/#respond Wed, 18 Oct 2023 10:11:47 +0000 https://news.softspace.in/%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%8f-%e0%a4%95%e0%a4%bf%e0%a4%b8-%e0%a4%ab%e0%a4%b8%e0%a4%b2-%e0%a4%aa%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%a8%e0%a4%be-msp-%e0%a4%ac%e0%a4%a2%e0%a4%bc/

<p style="text-align: justify;">केंद्र की सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए लगातार कार्य कर रही है. इसी कड़ी में सरकार की ओर से एक अहम निर्णय लिया गया है. जिसके अनुसार सरकार की ओर से कई फसलों पर एमएसपी बढ़ा दी गई है. सरकार की तरफ से रबी की 6 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है. कैबिनेट की तरफ से एमएसपी में 2 फीसदी से लेकर 7 फीसदी तक की बढ़ोतरी को मंजूरी प्रदान की है, जिस पर सरकार ने मुहर लगा दी है.<br /><br />सरकार ने कुल 6 फसलों के एमएसपी को बढ़ाने का निर्णय लिया है. इनमें जौ, गेहूं, चना, मसूर, सरसों और सनफ्लोअर शामिल हैं. &nbsp;गेंहू पर 150 रुपये, &nbsp;तिलहन और सरसों में 200 रुपये प्रति क्विंटल, मसूर पर 425 रुपये प्रति क्विंटल, जौ पर 115 रुपये, चना 105 रुपये और सनफ्लोअर पर 150 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया है.</p>
<p style="text-align: justify;">&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>… खबर में अपडेट जारी है.</strong></p>



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Srikakulam farmers launch 1 lakh signature campaign urging govt. to fix MSP for cashew nuts https://news.softspace.in/srikakulam-farmers-launch-1-lakh-signature-campaign-urging-govt-to-fix-msp-for-cashew-nuts/ https://news.softspace.in/srikakulam-farmers-launch-1-lakh-signature-campaign-urging-govt-to-fix-msp-for-cashew-nuts/#respond Sat, 12 Aug 2023 14:47:13 +0000 https://news.softspace.in/srikakulam-farmers-launch-1-lakh-signature-campaign-urging-govt-to-fix-msp-for-cashew-nuts/

श्रीकाकुलम जिले के कासिबुग्गा में काजू किसानों के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान में भाग लेने के लिए लोग कतार में खड़े हैं। | फोटो साभार: विशेष व्यवस्था

कई किसान संगठनों ने कुछ दिन पहले श्रीकाकुलम जिले में एक लाख हस्ताक्षर अभियान चलाया था, जिसमें सरकार से काजू के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 16,000 रुपये तय करने का आग्रह किया गया था।

कई प्रमुख व्यक्तियों और डॉक्टरों ने उस अभियान को अपना समर्थन दिया है जो मर्रीपाडु, तारलागादिपुरु, गरुड़भद्रा, वज्रपुकोत्तुरु, पलासा, सोमपेटा और अन्य गांवों में चल रहा है।

बाजार में काजू की कीमतों में भारी गिरावट से 35,000 से अधिक किसान प्रभावित हुए। लगभग ₹14,000 प्रति क्विंटल से, कीमत गिरकर ₹10,500 हो गई और यहाँ तक कि ₹8,000 के निचले स्तर को भी छू गई।

कासिबुग्गा शहर में औपचारिक रूप से हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत करने वाले एक वरिष्ठ डॉक्टर तेप्पाला आनंद ने कहा कि अगर सरकार अन्य फसलों के मामले में एमएसपी की घोषणा नहीं करती है, तो किसान इसके बाद काजू उगाने में संकोच करेंगे।

आंध्र प्रदेश काजू किसान संघ के जिला संयोजक टी. अजयकुमार ने कीमत में गिरावट के लिए पलासा बाजार में काजू व्यापारियों के कार्टेल को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “सरकार को रायथु भरोसा केंद्रों के माध्यम से किसानों की काजू उपज ₹16,000 प्रति क्विंटल पर खरीदनी चाहिए ताकि व्यापारी भी समान कीमत देने के लिए आगे आएं।” उन्होंने कहा, अब तक विभिन्न स्थानों के लोगों से लगभग 30,000 हस्ताक्षर एकत्र किए गए हैं और 20 अगस्त तक 1 लाख को पार करने की उम्मीद है।

सीपीआई (एम) के जिला सचिव डी. गोविंदा राव ने सरकार से वियतनाम और कई अफ्रीकी देशों से स्थानीय व्यापारियों द्वारा आयात को हतोत्साहित करने के लिए काजू पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग की।

हड़ताल ख़त्म

इस बीच, पलासा काजू मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष मल्ला सुरेश और पूर्व अध्यक्ष मल्ला श्रीनिवास राव ने कहा कि पलासा और देश के अन्य काजू बाजारों में प्रसंस्कृत काजू की कीमतों में गिरावट के बावजूद व्यापारियों ने दरें ₹11,000 प्रति क्विंटल तक बढ़ा दी हैं। उन्होंने कहा कि काजू प्रसंस्करण इकाइयों द्वारा एक महीने से की जा रही हड़ताल को किसानों के अनुरोध के बाद एक सप्ताह पहले वापस ले लिया गया था, जो बिना बिके स्टॉक के बारे में चिंतित थे, जिसे उनके घरों में लंबे समय तक संरक्षित नहीं किया जा सकता था।



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