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शाहरुख खान ने जिस मंदिर में टेका माथा, उस मंदिर से जुड़ी हैं कुछ अनसुनी बातें

शाहरुख खान ने जिस मंदिर में टेका माथा, उस मंदिर से जुड़ी हैं कुछ अनसुनी बातें


तिरूपति बालाजी मंदिर, वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर: दक्षिण भारत में बालाजी मंदिर सबसे लोकप्रिय माना जाता है। बालाजी मंदिर भगवान वैंकटेश स्वामी को समर्पित है, जो भगवान विष्णु के अवतार हैं।कहते हैं यहां आने वाले लोगों की सभी मन्नतें पूरी होती हैं।

हाल ही में अपनी आने वाली फिल्म ‘जवान’ की सफलता के लिए शाहरुख खान (शाहरुख खान) अपनी बेटी सुहाना के साथ बालाजी मंदिर गए थे, उन्होंने यहां वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन कर युवाओं का प्रचार किया और अपनी सक्सेस की कामना की। आइए जानते हैं बालाजी मंदिर की रोचक जानकारी।

बालाजी मंदिर की रोचक बातें (तिरुपति बालाजी मंदिर रोचक तथ्य)

धनी मंदिर

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमाला पर्वत पर स्थित बालाजी का रहस्यमयी मंदिर भारत सहित पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। ये भारत की सबसे अमीर मूर्तियों में से एक है। कहते हैं यहां हर साल लाखों-करोड़ों रुपए का चढ़ावा आता है। वास्तविक बालाजी मंदिर वास्तु कला का अद्भुत उदाहरण है।

कैसे लिखा नाम भगवान विष्णु का नाम वैंकेटेश्वर (वेंकटेश्वर मंदिर का इतिहास)

त्रिमाला के जिस पर्वत पर बने इस मंदिर में उनकी सात चोटियां हैं- शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, विष्टाद्रि, नारायणाद्रि और व्यंकताद्रि। इनमें से व्यंकटाद्रि नाम की चोटी पर भगवान विष्णु के मंदिर हैं। यही कारण है कि यहां विष्णु जी को व्यंकटेश्वर स्वामी के नाम से जाना जाता है।

विष्णु जी ने नीचे दिए श्रीरामानुजाचार्य के साक्षात् दर्शन

मान्यता है कि श्रीरामानुजाचार्य भगवान विष्णु के परम भक्त थे। वह लगभग एक सौ वर्ष तक जीवित रहे और सदैव श्रीहरि की सेवा में लीन रहे। इसी तरह के आभूषणों पर भगवान ने उनके साक्षात दर्शन दिए।

यहां क्यों जाएं यहां बाल

बालाजी में भक्त अपने बाल छोड़ जाते हैं इसके पीछे यह बात शामिल है कि कोई व्यक्ति अपने मन के मेल और पापों से मुक्ति पाने के लिए यहां बालों के दान स्वरूप में बुराइयां छोड़ जाता है। मां लक्ष्मी ने उनका सारा संकट समाप्त कर दिया।

जलती है अखंड ज्योत

बालाजी मंदिर के गर्भगृह में देवता की मूर्ति के सामने रखे मिट्टी के दीपक भी एक रहस्य हैं। कहते हैं कि ये दीपक कभी बुझते नहीं. इन दीपक में ना ही तेल होता है ना ही घी. ये दीपक कब जलाए गए और जलाए गए, इसके बारे में कोई विश्वसनीय अभिलेख नहीं है।

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