एपी सरपंच एसोसिएशन और एपी पंचायत राज चैंबर के सदस्यों ने 24 अगस्त (गुरुवार) को आंध्र प्रदेश के राज्यपाल एस. अब्दुल नज़ीर को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उनसे राज्य सरकार को पंचायतों को “उचित धन” तुरंत जारी करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया।
सदस्य यह भी चाहते थे कि राज्यपाल सरकार को निर्देश दें कि वह पंचायत राज संस्थाओं की निर्वाचित समितियों को अपने कर्तव्यों का पालन करने की अनुमति दें।
उन्होंने मांग की कि ग्राम सचिवालयों और ग्राम स्वयंसेवकों को निर्वाचित पंचायतों के नियंत्रण में लाया जाना चाहिए।
ज्ञापन में चैंबर अध्यक्ष वाईवीबी राजेंद्र प्रसाद और एसोसिएशन अध्यक्ष वी. लक्ष्मी मुथ्याला राव ने कहा कि पंचायत राज संस्थाओं को योजनाबद्ध तरीके से नष्ट किया जा रहा है।
वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार वर्ष 2019-23 के दौरान केंद्र सरकार द्वारा ₹8,629.80 करोड़ जारी किए गए।
‘वैधानिक दायित्व का उल्लंघन’
उन्होंने आरोप लगाया कि पंचायतों को धन जारी करने की वैधानिक बाध्यता का उल्लंघन किया गया और राज्य स्तर पर अन्य योजनाओं के लिए धन का विनियोजन किया गया।
बार-बार अभ्यावेदन के बावजूद, वर्ष 2022-23 (₹2,010 करोड़) और 2023-24 (₹2,031 करोड़) के लिए देय राशि जारी नहीं की गई।
उन्होंने कहा कि गांवों में पेयजल और स्वच्छता उपलब्ध कराने के लिए भी धन के बिना पंचायतों को अप्रासंगिक बना दिया गया है।
समानांतर संस्थाएँ
राज्य सरकार द्वारा सीधे राज्य सरकार के नियंत्रण में ग्राम सचिवालय और ग्राम स्वयंसेवकों के नाम पर समानांतर संस्थानों की स्थापना ने निर्वाचित सरपंचों, एमपीटीसी सदस्यों, वार्ड सदस्यों और पंचायत राज के अन्य पदाधिकारियों को अप्रासंगिक और अप्रासंगिक बना दिया। उन्होंने आगे कहा, ग्राम प्रशासन।