करवा चौथ की पूजा में पढ़ें ये खास मंत्र और आरती, करवा माता प्रसन्न

करवा चौथ की पूजा में पढ़ें ये खास मंत्र और आरती, करवा माता प्रसन्न


करवा चौथ 2023 मंत्र और आरती: सुहागिनों का खास पर्व करवा चौथ आज मनाया जा रहा है। यह व्रत पति की लंबी उम्र, सुखी दांपत्य जीवन और पति-पत्नी के रिश्ते में सुख-शांति का श्रृंगार है। इस दिन व्रती महिलाएं सुबह से शाम तक निर्जला व्रत कर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।

करवा चौथ पर शाम को गणपति जी, पार्वती जी, शिव, कार्तिकेय जी और करवा माता की पूजा का विधान है। करवा चौथ की पूजा में कथा, खास मंत्र और करवा माता की आरती जरूर करनी चाहिए, तभी ये व्रत पूरा माना जाता है। जानिए करवा चौथ के मंत्र, आरती

करवा चौथ 2023 महोत्सव (करवा चौथ 2023 मुहूर्त)

  • पूजा का समय – शाम 05:44 मिनट से रात्रि 07:02 मिनट तक। सुहागिनों को पूजा के लिए बंद करें 1 घंटा 17 मिनट।
  • चन्द्रोदय समय – 1 नवंबर 2023 को करवा चौथ का चांद 08 26 मिनट पर निकलेगा।

करवा चौथ आरती (करवा चौथ आरती)

ॐ जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।

जो व्रत करे बारात, पार करो निया।। ॐ जय करवा मैया।

सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।

यश प्रिय गावत, जग के सब जीव।। ॐ जय करवा मैया।

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती है।

दीर्घायु पति होवे, दुःख सारे हरती।। ॐ जय करवा मैया।

होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।

गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।। ॐ जय करवा मैया।

करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।

व्रत हो पूर्ण, सब विधि सुख पावे।। ॐ जय करवा मैया।

करवा चौथ पूजा मंत्र (करवा चौथ पूजा मंत्र)

गणेश पूजा के मंत्र

  • ऊँ एकदन्ताय नम:
  • ऊँ वक्रतुण्डाय नम:
  • ऊँ गं गणपतयै नम:

करवा चौथ माता के मंत्र

  • ऊँ गौर्ये नम:,
  • ऊँ चतुर्थी देव्यै नम:
  • ऊँ शिवायै नम:
  • ऊँ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं सन्ति शुभम्। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।।’

शिवजी की पूजा का मंत्र

  • ऊँ नम: शिवाय
  • ऊँ रुद्राय नम:
  • ऊँ तत्पुरुषाय नम:

करवा माता को इस मंत्र से प्रसन्न करें

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:।

नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रार्थना: स्मृताम्॥

करवा दान का मंत्र

कर्कं क्षीरसंपूर्ण तोयपूर्णमथापि वा, ददामि रत्नसंयुक्तं किरण्जीवतु मे पतिः

करवा चौथ पूजा के नियम (करवा चौथ पूजा नियम)

करवाचौथ की पूजा मित्र को पूर्व की ओर मुख करके सलाह देनी चाहिए। इस व्रत के दौरान महिलाओं को लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। पूर्ण रूप से देवी-देवताओं का पूजन करना चाहिए। कथा के बिना ये व्रत अधूरा है. पति के हाथों जल पीकर व्रत का पारण करें।

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