हैंगओवर की दवा : शराब का हैंगओवर अब बहुत देर से तक सिर पैलेस नहीं बोलेगा। एक संकेत में ही पूरा नशा उतरेगा। एक ऐसा जेल (जेल) बनाया जा रहा है, जो दारू का नशा तुरंत निकालता है और सेफ भी रखेगा। आयरन एटम और मिल्क प्रोटीन बीटा- लैंटोग्लोबुलिन के संयोजन से बन गई ये जेल डॉक्स सिस्टम में टुकड़े से स्टॉककर इथेनॉल को एसीटेट में बदल देगा। जिससे नशा मुक्ति मंत्र हो जाएगा। ईटीएच ज्यूरिख के फूड साइंटिस्ट जियाकी सु और उनकी टीम ने हाल ही में इस स्टडी को नेचर टेक-टेक्नोलॉजी में दिया है।
किस तरह का काम जेल
हमारा शरीर खुद ही टुकड़ों को तोड़ देता है। जिसके बाद होने वाले बाय-प्रोडक्ट एसीटैल्डिहाइड का उत्पादन होता है, जो नशा मुक्ति है। एसीटैल्डिहाइड परिचय के लिए भी खतरनाक होता है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के बायोकेमिस्ट डुओ जू का कहना है कि नई जेल को सीधे एसीटेट में बदलने का काम बिएम में ही टॉकिक चीजें नहीं बनीं। यह हाइड्रोजेल-बेस्ड टेक-लीवर जैसा काम करता है।
जेल बनाने की जरूरत क्यों
WHO के मुताबिक, हर साल शराब की वजह से करीब 30 लाख लोगों की मौत हो रही है। बिहार, अधिकांशतः पेट और जिले के म्यूज़ियम, बेरेन जिले से होता हुआ रक्त शर्करा स्तर तक पहुँच जाता है। शराब की थोड़ी सी मात्रा पर भी ध्यान केंद्रित कर रखा जाता है, जिससे कई तरह के खतरे बढ़ जाते हैं। यही कारण है कि रोज़ाना अल्कोहल रेस्टोरेशन माना जाता है। इससे उत्पन्न होने वाले विकार, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रसायन की सूजन और कैंसर का खतरा है।
ईटीएच ज्यूरिख के शोधकर्ताओं ने इस प्रोटीन जेल के माध्यम से कनेक्शन प्राप्त करने की टर्कीब खोज की है। ईटीएच के अध्ययन में बताया गया है कि सबसे पहले ब्रिटेन में जेल ब्लडस्ट्रीम से पहले ही बदमाशों को जल्दी और बिना नुकसान के एसिटिक एसिड में बदल दिया गया था। इसी से नशा और शरीर को नुकसान होता है।
हैंगओवर नोटबुक वाले जेल के फायदे
आईटीएच ज्यूरिख में फूड एंड सॉफ्टेरियल्स लैबोरेटरी के प्रोफेसर राफेल मशरेंगा ने बताया कि ‘जेल के टुकड़ों को पाचन तंत्र से शुरू करने की सलाह दी गई है। इसी तरह के प्रोटोटाइप में पच होता है, जिसमें इंरामीडिएट उत्पाद विशेष रूप से एकिटाल्डिहाइड नहीं बनता है, जो साज़िश होता है और ज्यादातर शराब पीने से होने वाली समस्याओं के लिए जिम्मेदार होता है।
इसी तरह के नुकसान से बचने के लिए शराब पीने से पहले या बाद में इस जेल में जा सकते हैं। ‘जेल तब तक प्रभावशाली होगा, जब तक ‘जेस्ट्रोइंस्टाइनल पैमाइश’ मौजूद रहेगा।’ इसका मतलब है जब शराब में खून आएगा तो उसकी पॉइज़निंग कम करने में मदद मिल सकती है। शराब न छोड़ने वालों के लिए यह जेल का मजा हो सकता है।
जेल किन से बना है
शोधकर्ताओं ने जेल को बनाने में व्ही प्रोटीन का इस्तेमाल किया है। लंबे, मोटे रेशे बनाने के लिए उन्होंने इसे कई घंटे तक के अंशांकित सॉल्वेंट के रूप में नमक और पानी के मसाले के रूप में इस्तेमाल किया, जिससे किलोंडिल्स अकेले में जुड़ जाते हैं और जेल तैयार हो जाते हैं। स्टोर सिस्टम की तुलना में इस जेल का पांच फ़ायदा यह है कि यह धीरे-धीरे होता है।
हालाँकि, ब्रेज़ को तोड़ने के लिए कई कैटलिस्ट्स की ज़रूरत बेकार है, जिसके लिए जेल में आयरन एटम का इस्तेमाल किया गया है। नवीनतम में इस इलेक्ट्रॉन को ट्रिगर करने के लिए साधारण पेरोक्साइड की थोड़ी सी आवश्यकता होती है, जिसके लिए सोना लागू किया गया है, लेकिन सोना पचता नहीं है, इसलिए इसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है। मतलब इस जेल को बनाने में आयरन, ग्लूकोज और सोना का इस्तेमाल किया जाता है.
बाज़ार में कब तक आओ जेल
शोधकर्ताओं ने बताया कि वे जेल के लिए सबसे पहले आवेदन कर सकते हैं। इंसान पर इस्तेमाल की जाने वाली बोतलें निकालने से पहले अभी कई बेस्टल टेस्ट किए गए हैं। इसके बाद ही आम लोगों के लिए यह जेल बाजार तक सरोजा आ. उन्होंने सारी प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करने की उम्मीद जताई है।
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