पंचायतों और अधिकारियों को गांवों में जलापूर्ति को दूषित होने से रोकने के निर्देश

भाजपा ने बीआरएस शासन के दौरान फोन टैपिंग की न्यायिक जांच की मांग की


मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के गृह जिले मैसूर के निकट एक गांव में दूषित पानी पीने से 22 वर्षीय युवक की मौत के बाद राज्य सरकार ने पंचायत विकास अधिकारियों और ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति योजना के तहत आने वाले सभी अधिकारियों को जल आपूर्ति पाइपलाइनों और ओवरहेड टैंकों की मरम्मत करके पानी के प्रदूषण की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

सफाई अभियान

ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग ने एक परिपत्र जारी कर ग्रामीण पेयजल योजना के अधिकारियों को राज्य भर के गांवों में बोरवेलों और जलापूर्ति पाइपों के पास जमा कीचड़ और गंदगी को हटाने के निर्देश दिए हैं।

अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे गांवों में क्लोरीन पाउडर का उपयोग करके ओवरहेड टैंकों को साफ करें। पाइपलाइनों को नुकसान पहुंचने की स्थिति में, निवासियों को पीने योग्य पानी की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नई पाइपलाइन बिछाने के उपाय किए जाने चाहिए।

सर्कुलर में कहा गया है कि पानी को दूषित होने से बचाने के लिए बोरवेल में केसिंग पाइप की उचित स्थापना होनी चाहिए। विभाग ने अधिकारियों को पानी को दूषित होने से बचाने के लिए प्रतिदिन जिला और तालुक प्रयोगशालाओं में पानी की जांच करने का निर्देश दिया है।

मुख्यमंत्री का निर्देश

मुख्यमंत्री ने भी गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपायुक्तों और जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से कहा कि ग्रामीणों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है। विभाग ने अधिकारियों से कहा कि वे विभाग के पोर्टल पर रोजाना पानी की जांच अपडेट करें।

परिपत्र में कहा गया है कि डायरिया और अन्य जलजनित बीमारियों की रिपोर्ट मिलने पर अधिकारियों को तुरंत पानी और बिजली की आपूर्ति रोक देनी चाहिए तथा बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए उपाय करने चाहिए तथा वैकल्पिक जल आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *