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अगर ऐसे करेंगे करेले की खेती तो वो आपको बना देगी मालामाल… बड़े काम की है ये नई ट्रिक

अगर ऐसे करेंगे करेले की खेती तो वो आपको बना देगी मालामाल... बड़े काम की है ये नई ट्रिक


Agriculture News: खेती में शानदार कमाई करने का अच्छा विकल्प वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) है, जिससे लोग लाखों रुपये कमा रहे हैं. आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आप करेले की वर्टिकल फार्मिंग कर सकते हैं और अच्छी कमाई कर सकते हैं.

देश भर में कई किसानों ने इस खेती को अपनाया है. किसान बताते हैं कि इस खेती में बांस लगाकर तारबंदी के बाद धागे बांधकर उस पर बेल चढ़ाकर खेती की जाती है. एक किसान ने बताया कि तीन बीघे में करेले की वर्टिकल फार्मिंग की है. फसल पूरी तरह ऑर्गेनिक है, इसमें किसी तरह के रासायन का प्रयोग नहीं किया है. ऑर्गेनिक खेती करने से उन्हें काफी अच्छा लाभ मिल रहा है. मंडी में पहुंचते ही उनका सारा माल भी खरीद लिया जाता है. जो कि काफी अच्छे भाव में बिकता है.

करेला एक बागवानी फसल है. सरकार कई राज्यों में करेले की खेती के लिए किसानों को सब्सिडी भी देती है. करेला एक ऐसी फसल है जिसे उगाने की लागत कम आती है तो वहीं मुनाफा इसमें लागत से ज्यादा होता है. अगर किसान करेले की खेती करने की योजना बना रहे हैं, तो बलुई दोमट मिट्टी में ही इसकी बुवाई करें. क्योंकि बलुई दोमट मिट्टी करेले की फसल के लिए अच्छी मानी गई है. करेले की खेती को अगर नदी के किनारे किया जाए तो यह और ज्यादा फायदेमंद होती है, क्योंकि जलोढ़ मिट्टी में इसकी बंपर पैदावार होती है. 

करेले के लिए गर्मियों का मौसम अच्छा माना गया है, इसकी फसल गर्मियों में तेजी से ग्रोथ करती है, 20 से 40 डिग्री तापमान करेले के लिए अच्छा माना जाता है. इसके अलावा करेला साल भर बोया जा सकता है. साल में तीन बार इसकी बुवाई होती है. अगर आप जनवरी से मार्च तक इसकी बुवाई करते हैं तो अप्रैल में आपको इसकी पैदावार मिलना शुरू हो जाएगी.

करेले की वर्टिकल फार्मिंग से हो जाएंगे मालामाल

वर्टिकल फार्मिंग के जरिए कम जमीन में अधिक उत्पादन किया जा सकता है.
इसमें मौसम का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है.
वर्टिकल फार्मिंग में फसल खराब होने का खतरा नहीं होता है.
वर्टिकल फार्मिंग में जल की बहुत कम जरूरत होती है.
वर्टिकल फार्मिंग से किसानों की आय कई गुना तक बढ़ जाएगी.

बता दें कि वर्टिकल फार्मिंग एक उच्च उत्पादक खेती प्रणाली है. जिसमें करेलों को उचाई पर उगाया जाता है. इस खेती में पौधों को सीधे उगाया जाता है. इस तकनीक का उद्देश्य स्थान की बचत करना होता है और बीजों के लिए कम से कम जगह की जरूरत होती है. इस तकनीक के जरिए सिर्फ करेलों ही नहीं बल्कि अन्य सब्जी और फल भी उगा सकते हैं. वर्टिकल फार्मिंग में पौधों को स्थान की बचत करने के लिए विशेष संरचना में उगाया जाता है.

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