इस बार कैसी रहेगी गेहूं की पैदावार, इस बार कितना महंगा होने की है उम्मीद?

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Wheat Production: भारत गेहूं का दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है. पहले नंबर पर इस मामले में चीन है. वहीं गेहूं की खेती के बारे में बात की जाए तो. इस मामले में पहले स्थान पर रूस, दूसरे स्थान पर अमेरिका तो वहीं तीसरे स्थान पर चीन आता है. गेहूं की खेती के मामले में भारत का नंबर चौथा है. भारत में अगर गेहूं की खेती देखी जाए तो सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश राज्य में की जाती है.

तो वहीं इसके बाद मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान का नंबर आता है. भारत में अगर पिछले साल की बात की जाए तो तकरीबन 110 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ है. क्या है इस साल की पैदावार का हाल. कितना महंगा हो सकता है इस बार गेहूं. चलिए जानते है. 

कितनी हो सकती है इस साल पैदावार ?

भारत में गेहूं की पैदावार को देखा जाए तो पिछले कुछ सालों में इसमें काफी बढ़ोतरी हुई है.  लेकिन इस साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल काफी प्रभावित हुई है. लेकिन पंजाब में इस बार भी गेहूं की पैदावार काफी अच्छा होने का अनुमान बताया गया है. पंजाब में साल प्रति एकड़ 20 से 25 क्विंटल गेहूं हो सकती है. इस साल की कुल पैदावार की बात की जाए तो वह  11 करोड़ 21.8 लाख टन होने का अनुमान है.  

इस साल गेहूं की औसत उपज करीब 20 से 24 क्विंटल प्रति एकड़ है. जो पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है पिछले साल की बात की जाए तो यह 18 क्विंटल प्रति एकड़ तक ही सीमित थी. भले ही कुछ राज्यों में बारिश और मौसम के प्रभाव के चलते गेहूं की पैदावार प्रभावित हुई है. लेकिन बावजूद उसके पंजाब और उत्तर प्रदेश में इस बार गेहूं की अच्छी पैदावार हो सकती है.  

कितना महंगा हो सकता है गेंहू?

केन्द्र सरकार ने साल 2024-25 के फाइनेंशियल ईयर में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी 2,275 रुपये प्रति क्विंटल तय की है. अगर पिछले साल की तुलना में इसे देखा जाए तो यह डेढ़ सौ रुपये ज्यादा है. लेकिन सरकारी भाव के अलावा बाहर बाजार में फिलहाल गेहूं का भाव 2,380 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है. 

यह वजह है कि किसान सरकारी गोदाम बजाय ओपन मार्केट में गेहूं बेचना पसंद कर रहे हैं. इसी के चलते सरकार की खरीद भी प्रभावित हो रही है. इसी वजह से सरकार का गेहूं का स्टॉक पूरा नहीं हो पाया है. इस साल 1 अप्रैल के ओपन मार्केट की बात की जाए तो स्टॉक पिछले 16 सालों के सबसे निचले स्तर पर चला गया है.  

अप्रैल के महीने में गेहूं की खुदरा मुद्रास्फीति दर बढ़कर 6.02% हो गई है. जबकि मार्च में बात की जाए तो यह दर 4.74% थी. उपभोक्ता विभाग के आंकड़ों के अनुसार गेहूं की कुदरा कीमत 28 रुपये प्रति किलोग्राम है. जो कि पिछले कई महीनों से इतनी ही बनी हुई है. यानी कहें तो दाम फिलहाल स्थिर हैं. लेकिन इनके बढ़ने के असर जरूर नजर आते हैं 

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