पोलियो से हर साल अधिक से अधिक लोगों को अवगत कराया जाता है, जानें कि भारत कैसे हुआ पोलियो मुक्त

India was determined to keep the country polio free What is the death rate of polio in world पोलियो से हर साल दुनियाभर में होती हैं इतनी मौतें, जानें भारत कैसे हुआ पोलियो मुक्त


‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ के अनुसार पोलियो एक तेजी से फैलने वाली खतरनाक बीमारी है। इस वायरल बीमारी के तौर पर पूरी दुनिया में परिभाषित किया गया है। यह बच्चे को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। इस बीमारी के वायरस गंदा पानी, खाने के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है। इसके बाद यह तंत्रिका तंत्र पर असर डालता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पोलियो का कोई इलाज नहीं है। इससे अगर बचना है तो इम्युनिटी मजबूत करने वाली दवा खानी चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) ने 1988

‘विश्व स्वास्थ्य सभा’ ​​(WHA) ने 1988 में विश्व को पोलियो मुक्त बनाने के लिए एक विशेष तरह का कार्यक्रम चलाया था। 1995 में भारत ने पोलियो उन्मूलन के लिए एक विशेष तरह के प्लस पोलियो कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसमें छोटे बच्चे को 5 साल तक पल्स पोलियो की दवा पिलाई जाती है। भारत में पोलियो का आखिरी मामला जनवरी 2011 में सामने आया था। इसके बाद फरवरी 2012 में भारत को पोलियो वायरस से प्रभावित देशों की लिस्ट से हटा दिया गया।

2014 में WHO ने भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया था

इस कार्यक्रम से 24 लाख कार्यकर्ता जुड़े थे। जिसमें 1.5 लाख कर्मचारियों के लिए, हर साल 1,000 करोड़ रुपये का बजट, हर साल 6-8 बार पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जाता था। प्रत्येक कार्यक्रम में लगभग 17 करोड़ बच्चों को दवा पिलाई गई। भारत की यह मेहनत रंग लाई और वर्ष 2014 में डब्ल्यूएचओ ने भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया।

ये देश के लोग अगर भारत आते हैं तो उन्हें पोलियो की दवा और टीके जरूरी हैं

पोलियो के वायरस को देश में फैलने से रोकने के लिए सरकार ने वर्ष 2014 में महत्वपूर्ण कदम उठाए। खासकर अगर लोग भारत आते हैं तो उन्हें पोलियो का टीका और दवा लेना बेहद जरूरी है। इस सूची में अफगानिस्तान, नाइजीरिया, पाकिस्तान, इथियोपिया, केन्या, सीरिया और कैमरून जैसे देश शामिल हैं।

पोलियो एक गंभीर बीमारी है जो बहुत तेजी से फैलती है। इसमें व्यक्ति को स्थायी विकलांगता और गंभीर मामलों में मृत्यु हो सकती है। खासतौर पर 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों को. पूरी दुनिया में दो तरह के पोलियो वायरल होते हैं। पहला जंगली पोलियो वायरस और दूसरा मौखिक पोलियो वायरस। पाकिस्तान और अफगानिस्तान को छोड़कर ज्यादातर देशों में जंगली पोलियो वायरस पूरी तरह से खत्म हो गया है। वह यमन और मध्य अफ्रीका में पाया गया है।

पोलियो होने पर शरीर में ये विशेष लक्षण दिखाई देते हैं

डब्ल्यूएचओ के अनुसार पोलियोवायरस से संक्रमित 70 से 95 फीसदी लोगों में इसके कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। प्रारंभिक लक्षण जो होते हैं उनमें से बुखार, थकान, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन में अकडन और हाथ-पैर में दर्द की प्रबलता हो सकती है। 200 में से एक संक्रमित में लकवा (सख्त पर पैरों में) हो सकता है। लकवाग्रस्त व्यक्तियों को यदि सांस लेने में कष्ट होता है तो ऐसे में 5-10% की मृत्यु का भी खतरा रहता है। पोलियो से 5 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को काफी अधिक प्रभावित होता है।

विश्व में पोलियो की यह स्थिति है

1988 के बाद से जंगली पोलियोवायरस के मामलों में 99% से अधिक की कमी आई है। 2021 में 125 से अधिक स्थानीय देशों में 3 लाख 50,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। जंगली पोलियोवायरस के 3 प्रजातियों (टाइप 1, टाइप 2 और टाइप 3) में से, जंगली पोलियोवायरस टाइप 2 को 1999 में और जंगली पोलियोवायरस टाइप 3 को 2020 में पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है।

वर्ष 2024 में पाकिस्तान में WPV1 के दो नए मामले सामने आएंगे। दोनों मामले बलूचिस्तान प्रांत (चमन और डेरा बुगती सिंह) में पाए गए। 2023 में 125 पॉजिटिव सैंपल और 2024 में अब तक 34 पॉजिटिव सैंपल शामिल हैं।

Disclaimer: यह खबर कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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