गणेश चतुर्थी से 10 दिन तक करें ये आरती, बन जायेंगे काम, बप्पा होगा आकर्षक

गणेश चतुर्थी से 10 दिन तक करें ये आरती, बन जायेंगे काम, बप्पा होगा आकर्षक


गणेश चतुर्थी 2023 आरती: ढोल-नगाड़ों के साथ आज पूरे देश में गौरी पुत्र गणेश का स्वागत किया जा रहा है।19 सितंबर 2023 को गणेश चतुर्थी गणपति उत्सव की शुरुआत हो चुकी है अब विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता गणेश जी दस दिन तक भक्तों के बीच रहेंगे।

हर शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा की सिफारिश की जाती है, इससे कार्य सफल होते हैं। गणपति जी की स्थापना के बाद उनके विसर्जन तक विधि विधान से पूजा करें। इस दौरान रोजाना सुबह-शाम गणेश जी की ये आरती कर उन्हें मंत्रमुग्ध कर दें। कहते हैं इससे घर में रिद्धि-सिद्धि का वास होता है। बप्पा सारे संकट हर लेते हैं।

गणेश जी की आरती (गणेश जी आरती)

1- जय गणेश, जय गणेश (जय गणेश जय गणेश देवा)

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

एक दंत दयावन्त,चार भुजा धारी।

सिन्दूर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश……

पैने चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लागे, संत करे सेवा॥

जय गणेश जय गणेश….

अँधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश….

दीन की लाज दिखाओ, शंभू सुतकारी।

इच्छा पूरी करो, जौन बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश….

‘सूर’ श्याम शरण आये, सफल कीजे सेवा।

भक्तों के दुखों को दूर करो देवा ॥

जय गणेश जय गणेश….

2- गणपति की सेवा मंगल मेवा,सेवा से सब विघ्न तारे (गणपति की सेवा मंगल मेवा)

गणपति की सेवा मंगल मेवा,सेवा से सब विघ्न तारे।

तीन लोक के सकल देवता, द्वार देवे नित अर्ज करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

रिद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विरेचन, अरु आनंद सों चमर करण।

धूप-दीप अरू के लिए आरतीभक्त-देवता जयकार करें॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

गुड़ के मोदक भोग लगते हैं मूषक वाहन चढ़्या सारण।

सौम्य रूप को देखें गणपति केविघ्न भाग जा दूर पराण॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

भादो मास अरु शुक्ल चतुर्थीदिन दोपारा दूर परायण।

लियो जन्म गणपति प्रभु जीदुर्गा मन आनंद भरां॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

अद्भुत बाजा बाजा इन्द्र कादेव बंधन सब गान करैं।

श्री शंकर के आनंद उपज्यानाम सुन्यो सब विघ्न तरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

आनि विधाता सात आसन,इंद्र अप्सरा नृत्य करण।

देख वेद ब्रह्मा जी जाकोविघ्न विनाशक नाम धारण॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

एकदंत गजवदन विनायकत्रिन्यं रूप अनूप धरं।

पगथम्भा सा उदर पूत हैदेव चन्द्रमा हास्य करण॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

दे श्राप श्री चन्द्रदेव कोकलाहिं स्थाई करण।

चौदह लोक में फिर से गणपतितीन लोक में राज्य करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

उठि प्रभात जप करध्यान कोई ताके कारज सर्व शरण

पूजा काल आरती गावैं।ताके श्री यश छत्र फिरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

गणपति की पूजा से पहले करें सबसे पहले निर्विघ्न शरण।

सभी भक्त गणपति जी के हाथ मित्र स्तुति करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…

2 – जय देव, जय देव (जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति)

सुख दुःखहर्ता, वार्ता विघ्ननाची

नूरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची

सर्वांगी सुंदर उटी शेंदु राची

कंठी झलके माल मुक्ताफांची

जय जय देव देव, जय मंगल मूर्तिकार

दर्शनमात्रे मनःकामना उद्देश्य

जय देव जय देव….

रत्नखचित फरा तू गौरीकुमारा

चंदनाची उति कुमकुम केशरा

बाज़ार जदित क्राउन शोभतो बारा

रुन्झुनाति नूपुरे चरणी घाघरिया

जय जय देव देव, जय मंगल मूर्तिकार

दर्शनमात्रे मनःकामना उद्देश्य

जय देव जय देव….

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वन्दना

सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना

दास रामाचा वाट पाहे भगवानसा

संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वन्दना

जय जय देव देव, जय मंगल मूर्तिकार

दर्शनमात्रे मनःकामना उद्देश्य

जय देव जय देव…

शेंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को

डोंडिल लाल बिराजे सुत गौरीहर को

हाथ के लिए गुड लोध साई सुरवर को

महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जी गणेश विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हरो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव…

अष्ट सिद्धि दासी संकट को बैरी

विघ्न विनाशन मंगल मूरत अधिकारी

कोटि सन लाइट ऐसे छबी तेरी

गांधीस्थल मदमस्तक झूला शशि बाहरी

जय जय जी गणेश विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हरो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव…

भावभगत से कोई शरणागत आवे

संतति संपत्ति सबही परिपूर्णता पावे

ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे

गोसाविंदा निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणेश विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हरो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव…

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