कई बार फेल होने पर भी नहीं मानी हार, कामयाबी का ‘सूर्य’ उगाकर ही लिया दम

कई बार फेल होने पर भी नहीं मानी हार, कामयाबी का 'सूर्य' उगाकर ही लिया दम


आईएएस की सफलता की कहानी: आज हम आपको एक बेहद ही सीनियर आईएएस अधिकारी की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं. जिन्होंने यूपी के कई जिलों को बड़े करीब से देखा है और आज वह राजधानी लखनऊ के जिला अधिकारी पद पर तैनात हैं. हम बात कर रहे हैं आईएएस अफसर सूर्य पाल गंगवार की. जिन्हें कई अटेम्प्ट में सफलता नहीं मिली. लेकिन हार न मानने के जज्बे ने उन्हें मंजिल तक पहुंचा ही दिया.

आईएएस सूर्य पाल गंगवार बरेली जिले से ताल्लुक रखते हैं. वह एक साधारण परिवार से आते हैं. उनके पिता शिक्षक थे, जो कि उनके आदर्श भी थे. सूर्य पाल गंगवार ने अपनी पहली से पांचवीं तक की पढ़ाई नवाबगंज कस्बे के एक स्कूल से की है. जबकि इससे आगे की शिक्षा उन्होंने नवोदय विद्यालय से प्राप्त की है. नवोदय विद्यालय में अक्सर डीएम और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता था. जिससे सूर्य पाल गंगवार को डीएम बनने की प्रेरणा मिली. 12वीं के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग में करियर बनाने का फैसला किया. उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन IIT Roorkee से की है.

विदेश जाने का अवसर छोड़ा

सूर्य पाल गंगवार ने कई साल तक ईएमसी और फिलिप्स में कई वर्षों तक काम किया और फिर सेंचुरी लैमिनेटिंग में शामिल हो गए. उन्होंने कॉर्पोरेट में समय प्रबंधन और कार्य कुशलता सीखी. उन्हें अमेरिका जाने का मौका मिला, लेकिन उन्होंने भारत में ही नौकरी करने का विकल्प चुना. जुलाई 2003 में सूर्य पाल गंगवार एयर इंडिया लिमिटेड में इंजीनियर बन गए. 2004 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी पर सफलता नहीं मिली. 2005 में फिर से तैयारी शुरू की और इस बार भी असफल रहे. इसके बाद उन्होंने नौकरी के बाद का पूरा समय यूपीएससी की तैयारी में लगा दिया.

आईआरएस के बाद भी नहीं छोड़ी IAS बनने की राह

सूर्य पाल गंगवार ने दिल्ली में कोचिंग ज्वाइन की. वे सुबह 5 बजे घर से निकल जाते थे और 2 घंटे की कोचिंग क्लास के बाद 9 बजे तक ऑफिस पहुंच जाया करते थे. वे शाम को 6 बजे ऑफिस से निकलकर सीधे कोचिंग की दूसरी क्लास में जाते थे. दिन में करीब 18 घंटे मेहनत करते थे. उन्हें विश्वास था कि वे आईएएस परीक्षा पास कर लेंगे. सूर्य पाल गंगवार ने 2006 में यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन मेन्स में सफलता नहीं मिली. उन्होंने अगले साल फिर परीक्षा दी और 476 वीं रैंक के साथ आईआरएस में चयनित हुए. जिसके बाद उन्होंने 2008 में फिर परीक्षा दी और 8वीं रैंक हासिल कर आईएएस बने.

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