फंड की कमी के चलते अफगान दूतावास ऑपरेशंस सस्पेंड करने को मजबूर, राजनयिकों के सामने संकट

फंड की कमी के चलते अफगान दूतावास ऑपरेशंस सस्पेंड करने को मजबूर, राजनयिकों के सामने संकट


अफगान दूतावास समाचार: भारत में अफगान दूतावास अपने सभी ऑपरेशंस को सस्पेंड करने के लिए मजबूर है. उसके राजनयिकों के सामने संकट खड़ा हो गया है. वे देश छोड़ने को मजबूर हुए हैं. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, दूतावास के तीन अधिकारियों ने शुक्रवार (29 सितंबर) को कहा कि भारत में अफगान दूतावास ने के राजदूत और अन्य वरिष्ठ राजनयिकों के देश छोड़ने के बाद यूरोप और अमेरिका में शरण ले ली है और यहां (दिल्ली में) परिचालन निलंबित कर दिया गया है.

फंड की कमी से जूझ रहा अफगान दूतावास

वहीं, टीओआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दूतावास दो साल से फंड की कमी से जूझ रहा था और इसे पिछली अशरफ गनी सरकार की ओर से नियुक्त राजनयिकों के जरिये चलाया जा रहा था. अशरफ गनी सरकार को 2021 में तालिबान ने उखाड़ फेंका था.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटनाक्रम तालिबानी राजनयिकों के जिम्मेदारी संभालने के लिए रास्ता साफ कर सकता है. हालांकि, भारत ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने वाली तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है.

अफगान दूतावास ने ताजा घटनाक्रम के बारे में एबीपी न्यूज के साथ जानकारी साझा की है. दूतावास ने कहा, ”राजदूत 18 जून, 2023 से मौजूद नहीं हैं, इस अवधि के दौरान एक कार्यवाहक राजदूत सक्रिय रूप से मिशन के संचालन की देखरेख कर रहे हैं.”

भारत पर समर्थन नहीं करने का लगाया आरोप

दूतावास की ओर से कहा गया, ”कई राजनयिकों का प्रस्थान भारत में बढ़ती असमर्थनीय स्थिति के साथ मेल खाता है. अफगानिस्तान में उनके (राजनयिकों) परिवारों को तालिबान की ओर से लगातार मिल रही धमकियों और भारत सरकार से समर्थन की कमी के कारण यह निर्णय (ऑपरेशंस सस्पेंड करना) लिया गया है. यह खेदजनक है कि भारत अफगान राजनयिकों के लिए उचित वीजा नवीनीकरण की अवधि नहीं बढ़ा रहा है. उनकी लगातार उपस्थिति पर विचार करना तो दूर की बात है.”

अफगान दूतावास ने कहा, ”इसके अलावा, शरणार्थियों पर जिनेवा कन्वेंशन में भारत की गैर-सदस्यता और अफगान नागरिकों के लिए शरण पर उसका रुख एक चिंताजनक पहलू है. दिल्ली में अफगान शरणार्थियों को जिन स्थितियों का सामना करना पड़ा, वे भारत में मौजूदा कानूनी ढांचे को और उजागर करती हैं. इन महत्वपूर्ण मामलों का त्वरित और सहानुभूतिपूर्ण समाधान की उम्मीद की जाती है.”



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