नई दिल्ली: मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हुंडई मोटर की भारतीय इकाई को उसके आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) पर सलाह देने वाले निवेश बैंकों को लगभग 40 मिलियन अमरीकी डॉलर का शुल्क मिलेगा, जो कि दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ शुल्क होगा।
रॉयटर्स समाचार एजेंसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हुंडई इंडिया “जेपी मॉर्गन, सिटीग्रुप और एचएसबीसी सहित बैंकों को आईपीओ आकार का 1.3% भुगतान करेगी”।
रॉयटर्स ने बताया कि भारत में बैंकों को आईपीओ आकार के 1% से 3% तक फीस मिलती है, जबकि लगभग 3 बिलियन डॉलर के आईपीओ के लिए न्यूयॉर्क में बैंक की फीस 3%-3.5% और हांगकांग में 2%-3% होगी।
दक्षिण कोरिया की अग्रणी कार निर्माता कंपनी ने कुछ दिन पहले नियामकीय फाइलिंग में बताया था कि उसकी भारतीय इकाई ने करीब 3 अरब डॉलर (25,000 करोड़ रुपये) जुटाने के लिए भारतीय नियामक के पास आईपीओ दस्तावेज जमा करा दिए हैं।
हुंडई मोटर इंडिया ने आईपीओ के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) दाखिल किया।
डीआरएचपी के अनुसार, “इस प्रस्ताव का उद्देश्य प्रमोटर विक्रय शेयरधारक द्वारा 10 रुपये प्रति अंकित मूल्य के 142,194,700 (142 मिलियन से अधिक) इक्विटी शेयरों की बिक्री के लिए पेशकश करना और स्टॉक एक्सचेंजों पर इक्विटी शेयरों को सूचीबद्ध करने का लाभ प्राप्त करना है।”
इसके अलावा, हुंडई मोटर इंडिया के डीआरएचपी में कहा गया है कि, “हमारी कंपनी को उम्मीद है कि इक्विटी शेयरों की लिस्टिंग से हमारी दृश्यता और ब्रांड छवि बढ़ेगी तथा भारत में इक्विटी शेयरों के लिए तरलता और सार्वजनिक बाजार उपलब्ध होगा।”
यदि लिस्टिंग को नियामक से मंजूरी मिल जाती है, तो यह 2022 में राज्य के स्वामित्व वाली भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की 2.7 बिलियन डॉलर की लिस्टिंग के बाद देश का सबसे बड़ा आईपीओ (प्रवर्तक द्वारा बिक्री के लिए एक शुद्ध प्रस्ताव) होगा।
आईएएनएस इनपुट्स के साथ